आँचल
आँचल
सीने में हो जिसके
वात्सल्य बेशुमार,
ममता और दया
से सिंचित तेरा प्यार|
अदम्य साहस दर्शाती
तुझ में शक्ति अपार,
नारी तेरे आँचल में है
सिमटे रंग हज़ार|
कोमल हृदय, मृदुभाषी,
किंतु नहीं लाचार|
दुर्गा-काली रूप धर,
किया दनुज संहार|
घर-आँगन की ओज तू,
सूर्य की दमकार|
नारी तेरे आँचल में हैं
सिमटे रंग हजा़र|
सृजन की उत्पत्ति का
तू ही है आधार|
तुझसे ही है जीवन
तुझसे ही संसार|
प्यार और दुलार,
करुणा और संस्कार|
नारी तेरे आँचल में हैं
सिमटे रंग हज़ार|
नवल पथ की नींव का
तू रखती आधार|
सहनशील और संबल तू,
सपने तुझसे साकार|
चेतना भी, चमत्कार भी,
तुझसे ही श्रृंगार|
नारी तेरे आँचल में हैं
सिमटे रंग हज़ार|
माँ, बेटी, बहन, प्रियतम-
जीती हर किरदार|
कभी बन पतवार,
कभी अचल दीवार|
दीप्ति भी, रूपा भी,
तुझसे ही अलंकार|
नारी तेरे आँचल में हैं
सिमटे रंग हज़ार|