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Vidya Chouhan

Classics Inspirational

4.8  

Vidya Chouhan

Classics Inspirational

आँचल

आँचल

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सीने में हो जिसके

वात्सल्य बेशुमार,

ममता और दया 

से सिंचित तेरा प्यार|

अदम्य साहस दर्शाती

तुझ में शक्ति अपार,

नारी तेरे आँचल में है

सिमटे रंग हज़ार|


कोमल हृदय, मृदुभाषी,

किंतु नहीं लाचार|

दुर्गा-काली रूप धर,

किया दनुज संहार|

घर-आँगन की ओज तू,

सूर्य की दमकार|

नारी तेरे आँचल में हैं

सिमटे रंग हजा़र|


सृजन की उत्पत्ति का

तू ही है आधार|

तुझसे ही है जीवन

तुझसे ही संसार|

प्यार और दुलार,

करुणा और संस्कार|

नारी तेरे आँचल में हैं

सिमटे रंग हज़ार|


नवल पथ की नींव का

तू रखती आधार|

सहनशील और संबल तू,

सपने तुझसे साकार|

चेतना भी, चमत्कार भी,

तुझसे ही श्रृंगार|

नारी तेरे आँचल में हैं

सिमटे रंग हज़ार|


माँ, बेटी, बहन, प्रियतम-

जीती हर किरदार|

कभी बन पतवार,

कभी अचल दीवार|

दीप्ति भी, रूपा भी,

तुझसे ही अलंकार|

नारी तेरे आँचल में हैं

सिमटे रंग हज़ार|


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