STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational Others

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational Others

आखिरी कॉल

आखिरी कॉल

2 mins
8

💠 अन्तिम आह्वान 💠
(आध्यात्मिक, जीवन-दर्शन गद्य-काव्य)
✍️ श्री हरि
14.08.2025

 किसी अनजाने क्षण,
किसी अनदेखी घड़ी,
किसी अदृश्य पलक में,
वह पुकार अवश्य आएगी—मौन,
अप्रतिहत, अपरिहार्य—
"चलो, अब लौट चलो…"

न वहाँ कोई घण्टा बजेगा,
न चेतावनी दी जाएगी,
न कोई कहेगा कि
यह अन्तिम क्षण है।

यमदूत कभी उद्घोष नहीं करते,
वे तो केवल अन्तःकरण में एक गहरा,
उत्तरहीन शून्य भर देते हैं।

 हे मनुष्य,
उस अन्तिम आह्वान से पूर्व
अपने अन्तराल में झाँक ले।

यह देह मृत्तिका का,
यह मान, यह धन, यह विषय-सुख—
सभी मृगतृष्णा के जल समान हैं;
जिन्हें पीने को झुकेगा,
तो केवल रेत की किरकिराहट ही मुख में भर जाएगी।

 और यह भी सुन—
यह जग तुम्हारे लिए नहीं बना,
बल्कि तुम जग के लिए बने हो।
तुम लेने नहीं, देने आए हो।
जग से ग्रहण त्याग दो,
जग को अर्पण करना सीखो।

तुम्हारे हाथ दान के लिए,
तुम्हारा मन करुणा के लिए,
तुम्हारी वाणी सांत्वना के लिए,
और तुम्हारी देह सेवा के लिए है।

 मनुष्य-जन्म यूँ ही नहीं मिला—
यह तो ईश्वर का विश्वास है,
कि तुम उसकी सृष्टि के
प्रत्येक प्राणी के दुःख हरण में सहयोगी बनोगे।
चींटी से लेकर गज तक,
गिरि, जल, पवन और आकाश—
सभी उसी के चलायमान देवालय हैं।

उनकी सेवा ही आरती है,
उनकी रक्षा ही घण्टानाद है,
उनके लिए त्याग ही अमृतमय प्रसाद है।
 गीता कहती है—
"जड़ से नाता तोड़, चेतन से जोड़।"
रामचरितमानस गूँजता है—
"परहित सरिस धरम नहि भाई"
और श्रीमद्भागवत स्मरण कराती है—
 "सर्वभूतेषु हरिः वसति"

 हे जीव,
तेरा वास्तविक पथ
वृन्दावन की उन गलियों में है
जहाँ मुरली की तान में
प्रत्येक श्वास मोक्ष हो जाता है।

कृष्ण के चरण-चिह्न ही
तेरे जीवन का एकमात्र पथ हैं।
तेरी प्रसन्नता तब ही स्थायी होगी
जब वह प्रभु की प्रसन्नता से जुड़ी होगी।
तेरा प्रत्येक कार्य
प्रभु के मुख पर मुस्कान लाने का मानदण्ड बन जाए—
यही तेरा सच्चा सौभाग्य है।

 अभी समय है—
किसी भूखे को अन्न दे,
किसी अशक्त को आधार दे,
किसी निराश आत्मा में आशा रोप,
और किसी विषादग्रस्त हृदय में
कृष्ण-नाम का दीप प्रज्वलित कर।

 क्योंकि जब अन्तिम आह्वान आएगा—
तेरे वाहन, तेरे भवन, तेरी पदवी, तेरे कोष—
सब यहीं रह जाएंगे।

साथ जाएगा तो केवल
तेरा निष्काम कर्म,
तेरा सेवामय भाव,
और तेरे नेत्रों के
अश्रु में भीगा हुआ वह प्रेम
जो तूने भगवान और उसकी सृष्टि में बाँटा।

 उपसंहार

"मृत्यु का बुलावा अनसुना नहीं होता,
पर जीवन का बुलावा हम बार-बार टाल देते हैं।
 चेत जा…
अन्तिम आह्वान से पहले भगवान को अपना बना ले।"  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics