आखिर क्यों
आखिर क्यों
क्यों ढल जाता है दिन शाम आते आते,
क्यों रुक जाते हैं कदम मुकाम आते आते।
जो रहता था हरदम मेरी जुबान पर,
क्यों रुक जाते हैं होंठ नाम आते आते।
जो रहते थे बनके दीवार बुरे वक्त में,
क्यों बदल जाते हैं दोस्त काम आते आते।
रहता है इंतजार एक दिन आएगा खुशी का,
क्यों छूट जाती है मोहब्बत अंजाम आते आते।
सींचा साल भर फल पाने को उस पेड़ को,
क्यों टूट जाती है डाल आम आते-आते।
लगा देता हूं पूरी जान मंजिल पर पहुंचने को,
क्यों लड़खड़ा जाते हैं कदम चढ़ान आते आते।