जी करता
जी करता


जी करता है बारिस की बूंदों से भीग जाऊँ
कागज की कश्ती से बचपन घूम आऊँ
समेट लूँ कुछ ओलें मिट्टी को छूने से पहले
गटक लूँ दो चार बचपन का स्वाद चख लूँ ।
ललचा रहा वो यादें,फिर बच्चा बन् जाऊँ।।
आसान नहीं इतना बचपन को भूल जाना
उस् मिट्टी को बिसराना, उस् डगर को भूल पाना।
सूरज उगने से पहले जाहाँ ॐ कार गूंजता था
उस् आंगन को भूल जाऊँ उस् संस्कार को भूल पाऊँ!
ललचा रहा वो यादें ,फिर बच्चा बन् जाऊँ।।
पहले गायत्री जाप , फिर पाहड़ा का पाठ,
फिर गो माता की सेबा , कैसे बिसर पाऊँ
दांतो तले दबाए नीम का तिता दांतुन
नंगे बदन टहलना,नदी में डुबकी लगाना
याद् आते वो दिन् कैसे भुला पाऊँ?
ललचा रहा वो यादें, फ़िर बच्चा बन् जाऊँ।।
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पाठशाला का साथी मोहल्ले की यारी
दो पहर का घूमना कैरी, अमरूद की चोरी
कब्बडी, चोर-पुलिस या गिल्ली-डंडा का खेल
एक् पल् में रूठना और् अगले पल् में मेल।
वो दोस्ती वो अपना -पन् आज् कहाँ से लाऊँ,
ललचा रहा वो यादें, फिर बच्चा बन् जाऊँ।
चंदा के साथ् भागना,सितारों संग जगना
हर् पल् को जीना और् हर् रंग में रंगना
आज् तो लगे सपना सा, काश सच हो पाता
लम्हा लम्हा जिंदगी को काश आज् जी पाऊँ।
ललचा रहा वो यादें फिर बच्चा बन् जाऊँ।
तोड़ के सारे बंधन छोड़ के सारी लालसा
आसान कर् लूँ जीवन और् नादान बन् जाऊँ
बहुत् उड़ ली आसमाँ बहुत् नाप ली दूरियाँ
आज् जी करता है थोड़ी सी आराम फरमाउँ
छोड़ के ये बुजुर्गियत फिर बच्चा बन् जाऊँ।।