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मोहित शर्मा ज़हन

Abstract

4  

मोहित शर्मा ज़हन

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जब क्रिकेट से मिले बाकी खेल...

जब क्रिकेट से मिले बाकी खेल...

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एक दिन सब खेल क्रिकेट से मिलने आए,

मानो जैसे दशकों का गुस्सा समेट कर लाए।

क्रिकेट ने मुस्कुराकर सबको बिठाया,

भूखे खेलों को पाँच सितारा खाना खिलाया।


बड़ी दुविधा में खेल खुस-पुस कर बोले

हम अदनों से इतनी बड़ी हस्ती का मान कैसे डोले ?

आँखों की शिकायत मुँह से कैसे बोले ?

कैसे डाले क्रिकेट पर इल्ज़ामों के घेरे ?


अपनी मुखिया हॉकी और कुश्ती तो खड़ी हैं मुँह फेरे

हिम्मत कर हाथ थामे टेनिस, तीरंदाज़ी आए,

घिग्घी बंध गई, बातें भूलें, कुछ भी याद न आए

"क...क्रिकेट साहब, आपने हम पर बड़े ज़ुल्म ढाए !"


आज़ादी से अबतक देखो कितने ओलम्पिक बीते, 

इतनी आबादी के साथ भी हम देखो कितने पीछे !

माना समाज की उलझनों में देश के साधन रहे कम,

बचे-खुचे में बाकी खेल कुछ करते भी...तो आपने निकाला दम !


इनकी हिम्मत से टूटा सबकी झिझक का पहरा, 

चैस जैसे बुज़ुर्ग से लेकर नवजात सेपक-टाकरा ने क्रिकेट को घेर

जाने कौनसे नशे से तूने जनता टुन्न की बहला फुसला,

जाने कितनी प्रतिभाओं का करियर अपने पैरों तले कुचला।


कब्बडी - "वर्ल्ड कप जीत कर भी मेरी लड़कियां रिक्शे से ट्रॉफी घर ले जाए

सात मैच खेला क्रिकेटर जेट में वोडका से भुजिया खाये ?"

फुटबॉल - "पूरी दुनिया में पैर हैं मेरे यहां हौसला पस्त,

तेरी चमक-दमक ने कर दिया मुझे पोलियोग्रस्त।"


बैडमिंटन- "हम जैसे खेलों से जुड़ा अक्सर कोई बच्चा रोता है,

गलती से पदक जीत ले तो लोग बोले ऐसा भी कोई खेल होता है ?"

धीरे-धीरे सब खेलों का हल्ला बढ़ गया,

किसी की लात...किसी का मुक्का क्रिकेट पर बरस पड़ा।


गोल्फ, बेसबॉल, बिलियर्ड वगैरह ने क्रिकेट को लतिआया,

तभी झुकी कमर वाले एथलेटिक्स बाबा ने सबको दूर हटाया

"अपनी असफलता पर कुढ़ रहे हो...

क्यों अकेले क्रिकेट पर सारा दोष मढ़ रहे हो ?


रोटी को जूझते घरों में इसे भी तानों की मिलती रही है जेल,

आखिर हम सबकी तरह...है तो ये भी एक खेल !

वाह, किस्मत हमारी, यहाँ एक उम्र के बाद खेलना माना जाए बीमारी।

ये ऐसे लोग हैं जो पैकेज की दौड़ में पड़े हैं,


हाँ, वही लोग जो प्लेस्कूल से बच्चों का एक्सेंट "सुधारने" में लगे हैं। 

ऐसों का एक ही रूटीन सुबह-शाम,

क्रिकेट के बहाने सही...कुछ तो लिया जाता है खेलों का नाम।

हाँ, भेड़चाल में इसके कई दीवाने,


पर एक दिन भेड़चाल के उस पार अपने करोड़ों कद्रदान भी मिल जाने !

जलो मत बराबरी की कोशिश करो, क्रिकेट नहीं भारत की सोच को घेरो।


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