पटाक्षेप
पटाक्षेप
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
पहाड़ी का अंतिम छोर
वह खड़ा है
उसके बाद ग़हरी खाई है
पाताल तक जाती हुई।
तुम उसके आगे आकर
खड़े नहीं हो सकते
नहीं इतनी जगह ही नहीं है
वहाँ उस किनारे पर
तुम नहीं खड़े हो सकते थे
उसके आगे
पर पीछे ही खींच लेते
वार तो न करते!
पर यहाँ तुम्हारी ही तरह कई
और लोग खड़े हैं
पाषाण युग के
तेज़ हथियार लिए
उनमें और तुममें क्या
कोई खास अंतर है
yle="color: rgb(34, 34, 34);">दोनों ही तो वार कर रहे हो!
और वह
वह तो एक मशीन मानव है
मानव होकर भी मशीन
साँस नहीं लेता
तुम जो कहते हो
साँस रोकना मतलब मर जाना है
तुम कभी किसी को नहीं रोकते
न साँस लेने से
न वार करने से
एक ओर वे सब
अपनी साँस रोके हैं
जहाँ थे वहीं बने हैं
दूसरी ओर वह मुहाने पर खड़ा है
खाई में कूदना है
और
अब और कोई विकल्प नहीं है।