आख़िर दिल है हिन्दुस्तानी
आख़िर दिल है हिन्दुस्तानी
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सर्व धर्म जहाँ एकसमान है
आपस में है सब भाई भाई
सब का लहू एक रंग है
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा
या हो चर्च सब पवित्र धाम है
सब का मालिक एक है
बस विचारों में सब के भेद है
ईश्वर ने तो मनुष्य बनाएं
सियासत तो हम सब ने है बनाई
इंद्रधनुष में भी सारे रंग साथ है
फ़िर किसका भगवा
किसका हरा ये क्यों भेदभाव है
भाती भाती के धर्म और लोग है
सबसे पहले हम सब एक इंसान है
गीता, बाईबल, ग्रंथसाहब और क़ुरान
सबका मर्म एक है फ़िर क्यूं रहते है सब परेशान
सब मिलजुलकर रहे इंसान
बस यही दुआ है सलामत रहे हिन्दुस्तान
छोड़ो सब लड़ाई झगड़े
क्यूँ है ये खींचातानी
आओ प्यार बांटे आपस में
आख़िर दिल है हिन्दुस्तानी।