Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

हरि शंकर गोयल

Romance Classics Fantasy

4  

हरि शंकर गोयल

Romance Classics Fantasy

आजकल हालात कुछ उल्टे उल्टे से

आजकल हालात कुछ उल्टे उल्टे से

1 min
245


आजकल दिनमान कुछ उल्टे उल्टे से लगते हैं

हमारे दिल के मेहमां हमसे रूठे रूठे से लगते हैं


ना आंखों में कोई चमक है और ना गालों पे सुर्खी

फीकी मुस्कुराहटों से ये होंठ झूठे झूठे से लगते हैं 


कभी दिल की धड़कनों से ही पहचान लेते थे हाल

सरगम की लय ताल के वे तार टूटे टूटे से लगते हैं 


कभी बादशाहत थी इश्क की दुनिया पे जिनकी

वही आज फकीरों की तरह लुटे लुटे से लगते हैं 


हमारी हर बात जिन्हें जान से प्यारी होती थीं 

आज हमारे अल्फाज उन्हें अटपटे से लगते हैं 


ऐसे भी दिन थे जब दीवाना था शहर जिनका 

आज अपने ही घर में वो पिटे पिटे से लगते हैं 


कभी आसमान में भी चमकता था नाम उनका

आज वही सुनहरे अक्षर मिटे मिटे से लगते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance