आजादी के नाम......
आजादी के नाम......
क्या लिखें क्या सुनाये अब कहानी आजाद हिंदुस्तान की,
ये तो मिली बड़ी मुश्किल से, कहानी उनकी कुर्बानी की.
किस किस का नाम लूँ, वो है सच्चे सपूत इस देश की,
सर पे आजादी का टिका लगाए थे वो अपनी खून की.
कोई हँस हँसकर तब फाँसी के फंदे लगे लगाया,
कोई देश की आजादी के लिए खुद सीने में गोली खाया.
कोई तो ठाट बाट छोड़ लुटाया सब देश के खातिर,
कोई फिर घुट घुट के मरा काले कोठरी के अंदर.
कोई खुद स्वार्थ को छोड़ लिया गर्व से आजादी का नाम,
भारत माता की झंडा को उठा के बोला बन्दे मातरम.
कोई देश के अंदर लड़ लड़ के दिया अपनी प्राण,
कोई देश के बाहर आजाद हिन्द बना के रखा मान.
फिर एक ने जो चुना सत्याग्रह को दिया एक वो नारा,
बोला लेंगे तो आजादी हम और अहिंसा मार्ग हमारा.
ना कोई सहयोग करेंगे ना तो मानेंगे काला क़ानून,
भरेंगे सारे जेल, डरते नहीं, देखो हमारा जुनून.
सबने अपने अपने दिए है बहुत कुछ कुर्बानी,
फिर ये देश आजाद हुआ, हम है आजाद हिंदुस्तानी.
वो सब तो कभी सोचे नहीं थे की कभी ऐसा फिर होगा,
आजादी के बाद भी यहाँ नारी की इज्जत कोई लूटेगा.
देश के जवानों जान पे खेल के करते है देश की रक्षा,
पर देश के अन्दर वो लुटेरों से कौन देगा सुरक्षा?
आजादी के बाद चला नारा जय जवान जय किसान,
अब हालात के मारे ये किसान ले रहा अपनी जान.
आजादी के लिए मिलकर लड़े थे, ना था जाती ना धर्म,
अब जाती धर्म के नाम लड़ रहे, फूटा उनकी कर्म.
अब आजादी के नाम चल रहा खुल के कालाबाजारी,
और आजादी के नाम घूसखोर हुए यहाँ अधिकारी.
आजादी के नाम भजते भजते बने कुछ बेईमान,
वो अब ये देख बोलते होंगे, बेकार हुआ बलिदान.
आजादी के नाम तो चीख के बोलते हम है हिंदुस्तानी,
पर भूले हुए है सारे देश भक्तों की अमर कहानी.
चलो आजादी का नाम खाके शपथ लिखें नयी कहानी,
तब हम सीना ठोक के बोलेंगे हम सच्चे हिंदुस्तानी.
