आज
आज
आज एक और होती हुई सुबह
प्रकृति का जीवन को
अद्भुत और अमूल्य उपहार।
यादों के लंगर
यादों की नाव
यादों के समुन्दर
में सैर करते हुये सचमुच के हम
यादों की परछाईयों से मुक्त
बस एक कामना का लादे हुये गट्ठर
वजन इतना कि जैसे किसी ने रख दिया है
पूरा ब्रह्मांड ही हमारे मत्थे के ऊपर
फिर भी हवा की तरह
हल्के हिलते डुलते
तुम्हारे लिये सचमुच के हम।
याद में थे,
याद की दुनिया में
और अब हकीकत में हैं
याद बनने को बेचैन
आओ एक कहानी लिख दें
इस सफर की
इस अगम्य स्थान की तस्वीर बना लें
ऐसा कुछ है नहीं याद में।
सचमुच हम भविष्य की ओर
अब तक के सबसे दिलचस्प सफर में हैं
और हमारा प्रेम कोई क्रिया नहीं है
ये तो कर्ता है हमारी तरह।
सिर्फ तुम्हारे प्रेम में
तुम्हारे लिये।