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निखिल कुमार अंजान

Romance

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निखिल कुमार अंजान

Romance

आज सब कुछ कहना चाहती हूँ

आज सब कुछ कहना चाहती हूँ

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तुम अक्सर लिखते हो प्रेम को

व्यक्त करते हो अपने मन के भाव

किंतु मै अभिव्यक्त नहीं कर पाती

अपना प्रेम..क्योंकि नहीं आता कहना

हमारे बीच बहुत कुछ अनकहा

और अनसुना सा है

आज मैं सब कुछ कहना चाहती हूँ

तुमसे अपने मन का

महसूस करती हूँ तुम्हें हर पल

अपने आस-पास

मेरी हर खुशी हर दुख मे तुम्हें 

मेरे करीब होने का एहसास करती हूँ!

शायद तुमसे कह नहीं पाती सामने से

क्योंकि शब्द नहींमिलते मुझे नहीं

आता जताना

जिंदगी का हर पल तुम्हारे संग 

बिताना चाहती हूँ

तुम्हारी हो तुम मे खो जाना चाहती हूँ

हाथ थाम हर कदम संग बढाना चाहती हूँ!

बारिश बहुत पंसद है मुझे

संग तुम्हारे बारिश में भीग जाना चाहती हूँ

हाँ हाँ संग तुम्हारे जिंदगी बिताना चाहती हूँ

मेरी सुबह मेरी शाम मे तुम हो मेरी नींद मे तुम हो

तुम ही मेरे जीवन का हर रंग हो तुम ही तो मेरा मन हो

तुम में मैं और मुझमे तुम हो 

शायद यही मेरा प्रेम है और मै तुम्हारे प्रेम में हूँ !




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