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Niva Singh

Romance Tragedy

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Niva Singh

Romance Tragedy

आज कुछ खोया है

आज कुछ खोया है

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आज कुछ खोया है

महसूस हो रहा है ज़हन में

कुछ रिश्तो की एहसास भी सता जातें हैं

जिसको चाहो दिल से

वो कुछ मनमुटाव पर रिश्तों के

हसीन पड़ाव पर रिश्ते मिटा जाते हैं ।

जो करते थे कभी हमारी सलामती की दुआ

अब उन्हीं की आंखों में खटकते हैं सनम।

कभी वो दिन थे जब आंखों के किनारे भी बोल उठते थे।

कमबख़्त अब वो भी गिला कर बैठे हैं ।

मिन्नतें हजार थी हजार थी दुआएं

मुक्कमल इश्क बनाने को

मंजुरे खुदा वो भी ना थी,

इश्क दरिया को वो ठहराव मिल पाएं।

आज जो यादों के घरोंदो को दिल से लगाएं है।

वो तुम्हारे परवानें इश्क का एहसास दिलाती है

पूछता था ज़माना मेरे अदब का मैं कहती थी

ये उनके ही परवाने इश्क का रंग है

चढ़ गया चढ़ जाने दो अदाओं पर सबब का रंग

कम्बख़्त आज ये गुरुर भी छुट गया

नही आती है किसी को

तुम्हारी वो कलाकारी

जो मेरे दिल को

एक नशा दिये जाता था

तुम्हारी जो वो आदत थी

या थी कोई फितरत?

मेरे जुल्फ़ों को सहलाना

उन्हें आहिस्ता से चुम जाना

साथ ही उन्हें सही आकार में ढाल पाना

नही आती है किसी को

सच कहूं तो कुछ खोया खोया सा महसूस कर रही हूं

शायद वो वक्त अपने अहम को लिए रुठ गया है

अब इन यादों को इन एहसासों को

कैद कर दिल के इस नगरी में

खामोश निशाचर से दिल लगाने का ख्याल बुनती हूं

शायद दिल को कुछ खोने का एहसास कम हो जाए

सता रही यादों को एक ठहराव मिल जाए।

कि अब कैसे निजात पाएं मर्ज -ए -इश्क से

जिसका दर्द भी तू है दबा भी तू।



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