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आज की नारी

आज की नारी

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आज की नारी तू कुछ मत सोच

जन्मदात्री है तू कर मत संकोच।


तू प्रतीक है शक्ति की चेतना का

खाली पुरुषों से है समाज, कभी न सोचना।


ग्रंथों में भी तू पूजनीय है

हर रूप में अमूल्य, ईश्वरीय है।


समाज की कुरीतियों से लड़ना है

रूढ़िवादिता को भी पीछे छोड़ना है।


अब तू नहीं रही कमज़ोर कहीं

अत्याचार व व्यभिचार अब और नहीं।


वे तानाशाह समाज को चलाने वाले

अब न अटकाएंगे कभी तेरे रास्ते।


नारी का अब बदल गया इतिहास

हिम्मत नहीं किसी में, जो करे अट्हास।


उपयोगिता तेरी हर क्षेत्र में सिद्ध हुई

पुरुषों से किसी तरह तू कम नहीं।


गर तू ममता की सीधी साधी मूरत है

पर संग में क्षमता से भरी तेरी सीरत है।


अधिकारों के लिए अब तू निर्भर नहीं

वीरांगना है तू क्रन्तिकारी नहीं।


नारी तू शक्ति का विशाल एक रूप है

सफर तेरा चुनौतियों भरा ज़रूर है।


चलो हँस कर करें स्वागत चुनौतियों का भी

समाज गर पुरुषों का है, है महिलाओं का भी।।


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