आज भी हैं
आज भी हैं
जो की थीं मोहब्बत आज भी हैं
तेरी आंखों की चाहत आज भी हैं
रात खयालों में कटती आज भी हैं
तेरी दीवानगी तो मुझे आज भी हैं
तेरे तसव्वुर में तो खोई आज भी हूं
तेरी नफ़रत की ख़लिश आज भी हैं
तेरे दीदार की तलब मुझे आज भी हैं
तेरे इश्क़ का खुमार मुझे आज भी हैं
तू तो मेरे जिस्मों जामे आज भी हैं
तेरे इश्क़ का पागलपन आज भी हैं

