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Rekha Malhan

Children

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Rekha Malhan

Children

आईं आज बरखा रानी

आईं आज बरखा रानी

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जाने वो बचपन कहाँ गया?

धूल उड़ाते जाते, मस्ती में गाते

खाते-पीते, बस मौज उड़ाते

 नहीं कोई फिक्र सताती थी


न गरमी कभी सताती

पेड़ों पर चढ़ जामुन खाते

आम-तरबूज मजे से खाते 

रास्तों में धूल उड़ाते जाते 


सर्दी पल में छूमंतर हो जाती

आव जलाकर सर्दी दूर भगाते

और गरमागरम खिचड़ी घृत से खाते

गरम -गरम हलुवा पल में चट कर जाते


बसंत की तो बात न पूछो 

फूलों संग खूब खिलखिलाते

रंग-बिरंगी तितलियाँ पकड़ते

हवा में लहराते हुए जाते


बरखा बहार आई सुहानी

चहूँ ओर पानी ही पानी 

कागज़ की हम नाव बनाते 

फिर नालियों में तैराते जाते


कच्छा -बनियान में नहाते

छककर मालपुए ,गुलगुले खाते

आई आज फिर बरखा रानी

याद आई बचपन की वही कहानी।




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