बचपना छिन जाना
बचपना छिन जाना
तुम्हारा यूँ गुजर जाना मेरी माँ।
हमारा जीवन बिखर जाना मेरी माँ।।
अचनाक असाध्य रोग ने घेरा था।
ईश्वर के समीप जाना मेरी माँ।।
पिताजी को एकाकीपन खलता था।
दिन-रात पिता का तडपना मेरी माँ।।
पितामही के बूढ़े हाथों का साथ।
निवाला प्रेम से खिलाना मेरी माँ।।
पितामही पूत का दु:ख देखे कैसे।
अब तो नयी माँ का आना मेरी माँ।।
नवेली दुल्हन आई घर-अँगना में।
आहते में रौनक का छाना मेरी माँ।।
बालमन मेरा सहमा घबराया था।
स्नेह नयी माँ से चाहना मेरी माँ।।
भरपूर स्नेह तो दिया नवोढ़ा ने।
लेकिन फिर अनुज का आना मेरी माँ।।
ममता अब 'कृष्णा'पर लुटाती सारी।
बचपना वो मेरा छिन जाना मेरी माँ।।