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अच्युतं केशवं

Abstract

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अच्युतं केशवं

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आगमन और गमन

आगमन और गमन

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देह का अर्जन

विसर्जन देह का।

यूँ गगन में आगमन हो

या गमन हो

मेघ का।

गगन स्थिर है

मेरी तरह ही

चहुँ ओर विस्तृत है

न अपना आगमन संभव

न अपना गमन संभव है

हम रहेंगे वही

वैसे ही

कि जैसे आज हैं।

न आये थे कहीं से

न जाना है कहीं।



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