5454 कविता
5454 कविता
प्यार का बंधन प्यारा प्यारा
लगे ये सुहाना सुहाना
तोड़े से भी ना टूटे
ये रिश्ते बड़े अनमोल.....
कभी मिलते है कभी बिछड़ते
कभी रूठते कभी मनाते
दिलों के ये नाजुक रिश्ते
ईश्वर की देन है......
काश बने रहे ये रिश्ते
कभी ना टूटे ये
इनसे दुनिया कभी ना जले
सदा फलते फूलते रहे.....
दो जिस्म एक जान है
पहचान एक दूजे की
जी नहीं पाते ये रिश्ते
मुरझा जाते जुदा होकर.....
जीवन की राहो पर इनसे
बड़ी बड़ी उम्मीदें सबकी
ये रिश्ते दिल में बसते
घर की मुसकान बनकर......