2021 की यात्रा
2021 की यात्रा
2021 का प्रत्येक दिन कुछ इस कदर ढ़ला
साल बीत गया और हमें पता भी नहीं चला
हम तो कोरोना की चादर ओढ़े बैठे रहें
और न जाने साल कैसे रेत जैसा फिसला
रहें हम अपनी ही धुन में खोएं
और धरती के सितारों का आसमान में लगा मेला
जो बीत गया सो बीत गया
कोई कुछ सिखा गया तो कुछ नया दिखा गया
आओं नये साल का स्वागत करते हैं
खुशियों के नये रंग इसमें भरते हैं।