अब इस घर में मृदुला रवि की केयर टेकर बन गई थी ।
माँ बहुत सी औरतों के बीच घिरी हुई है और सामने पापा की लाश पड़ी है।
जल्द ही वो टूट जाएंगे और उन पर टिका, ये बस नाम का संयुक्त परिवार भी।
"ये लंबा होने के लिए इन हाई हील्स की जरूरत नहीं है, जैसी हो वैसी रहो।
अपना जीवन अर्पण कर देना मेरे ख्याल से जीवन में इससे बड़ा आशीर्वाद कोई नहीं।
काफ़ी देर तक ऋषभ उन 19 टिकट को घूर रहा था और फिर अपने सपने और जमा पूंजी को अपने बैग में
परिधि उसकी आंँखों में हल्की-सी नमी देख लेती है।
निशा की शादी हो जाती है और देखते ही देखते उसकी शादी को 5 साल बीत जाते हैं । पर उसे कोई संतान नहीं होती।
चक्रव्यूह में फ़ांस कर पंगु बनाए...लेकिन क्या इक्कीसवीं सदी में भी ऐसा हो पायेगा...?
अस्पताल के पीछे से पाइप के सहारे वो दूसरी मंजिल के रोशनदान तक पहुंचा !
एक खूबसूरत प्रेमकथा...।
सब लाइटें बंदकर जब वह बेडरूम में लौटा तो ग़ज़ब तमाशा देखा। डबल बेड के अपने हिस्से में अरू सारा लिहाफ़ ओढ़े सो रही थी।
अज़ान-ऐ-फज्र की आवाज़ आती थी, सारे घर को रेहमत से जगाती थी रोशनदान पर कोयल आकर बैठ जाती थी, दादा को अपनी सी जान पाती थी पड़ोस के पं...
पूरे परिवार के साथ उन्होंने जहर खाकर इसी घर में खुदकुशी कर ली।"
बेटे -बहू के मंसूबों की भनक शरद और उनकी पत्नी स्वाति को लग गयी थी।
बेनाम रिश्ता
पैसों का पेड़
अजनबी
युवा: यूथ आइक...
अलार्म
प्रेम और भाईच...
युग पुरुष स्व...
हाडी रानी : अ...
पैसे
एक कप वाली दो...
“और ये खुदाई जंगल में हो क्यों रही थी?” “और ये खुदाई जंगल में हो क्यों रही थी?”
दोनो की उम्र में 10,15 का अंतर था लेकिन इश्क़ कहाँ उम्र देखता है। दोनो की उम्र में 10,15 का अंतर था लेकिन इश्क़ कहाँ उम्र देखता है।
गाय ने मदनलाल के घर के सामने गोबर कर दिया गाय ने मदनलाल के घर के सामने गोबर कर दिया
ख़ैर, यहां बात इंसानों की नहीं, बल्कि उस खूबसूरत बगीचे की है ख़ैर, यहां बात इंसानों की नहीं, बल्कि उस खूबसूरत बगीचे की है
"क्या हुआ, पापा? नींद नहीं आ रही? कोई बात नहीं! आप आंखें मूंद लीजिए। "क्या हुआ, पापा? नींद नहीं आ रही? कोई बात नहीं! आप आंखें मूंद लीजिए।
अब जब बच्ची को वार्ड में शिफ्ट किया जाना था तो बच्ची को कपड़े से लपेटा जाना था अब जब बच्ची को वार्ड में शिफ्ट किया जाना था तो बच्ची को कपड़े से लपेटा जाना था
बेमौसम बारिश से रमिया और भूरा भीग गए थे। बेमौसम बारिश से रमिया और भूरा भीग गए थे।
लड़कों को भी ऐसी ही लड़कियों में बहुत दिलचस्पी रहती है लड़कों को भी ऐसी ही लड़कियों में बहुत दिलचस्पी रहती है
उन झील जैसी नीली आखों में सब डूब जाए ऐसी आँखे । उन झील जैसी नीली आखों में सब डूब जाए ऐसी आँखे ।
कलेक्टर और एस पी ने अपने अधीनस्थ समस्त अधिकारियों को काम पर लगा दिया। कलेक्टर और एस पी ने अपने अधीनस्थ समस्त अधिकारियों को काम पर लगा दिया।
मम्मा, आपको मुझसे हारने से दुःख तो नहीं हो रहा है?" मम्मा, आपको मुझसे हारने से दुःख तो नहीं हो रहा है?"
सुनो ! थोड़ा जल्दी तैयार होकर निकल जाओ, नहीं तो कल की तरह आज भी काम नहीं मिलेगा सुनो ! थोड़ा जल्दी तैयार होकर निकल जाओ, नहीं तो कल की तरह आज भी काम नहीं मिलेगा
तुम जैसे आदिवासी छोटी जात के लोग हमारे घर की दहलीज़ के अंदर भी नहीं आ सकते हैं तुम जैसे आदिवासी छोटी जात के लोग हमारे घर की दहलीज़ के अंदर भी नहीं आ सकते हैं
मन तो ये होने लगा कि उसे अपने पास ले आऊँ और उसे बहुत स्नेह दूँ, मन तो ये होने लगा कि उसे अपने पास ले आऊँ और उसे बहुत स्नेह दूँ,
मैं शादी विवाह के हर कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी मैं शादी विवाह के हर कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी
मेज़ पर पानी का जग लाते बट्टू का सारा ध्यान फिरकी के घूमते पंखों पर है मेज़ पर पानी का जग लाते बट्टू का सारा ध्यान फिरकी के घूमते पंखों पर है
घर मेरा, पर ये चार दीवारें ... लगती क्यों ? अनजान सी है .... घर मेरा, पर ये चार दीवारें ... लगती क्यों ? अनजान सी है ....
स्कूली जिंदगी में कभी किसी विषय में कम नम्बर आने पर डाॅंट की जगह प्रोत्साहन दिया करते स्कूली जिंदगी में कभी किसी विषय में कम नम्बर आने पर डाॅंट की जगह प्रोत्साहन दिया...