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aarti sharma

Drama

4.7  

aarti sharma

Drama

मेरा श्रृंगार मेरा स्वाभिमान

मेरा श्रृंगार मेरा स्वाभिमान

3 mins
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यह कहानी नैना की हैं। नैना अपने मां के साथ रामपुर के छोटे से गांव में रहती थी।

नैना की मां पढ़ी लिखी थीं, वह गांव के बच्चों को पढ़ाती थी और घर का खर्च उठाती । नैना अपनी पढ़ाई के लिए स्कोलरसीप की परीक्षा देती। नैना का अठारहवां जन्मदिन है। नैना के पिताजी को गुजरे दस साल हो गए थे। नैना के पिताजी एक होशियार सैनिक थे। नैना ने अपने इस जन्मदिन पर सेना में भर्ती होने की इच्छा अपनी मां को बताई।

उसकी मां ने उसे मना कर दिया। नैना ने कहा कि हर मां अपने बच्चे को मना कर देगी तो देश की रक्षा कौन करेगा। नैना ने अपनी मां को समझाया कि वो अपने पिता के नक्षे कदम पर चलना चाहती है। उसकी मां ने उसे कहा कि जाओ और अपने पिता का नाम रोशन करो। नैना ने दिल्ली के सैनिक विद्यालय में दाखिला लिया। नैना को कुछ लोगों का साथ मिला और कुछ लोगों ने समाज के नाम पर परेशान किया।

नैना ने तमाम लोगों द्वारा किए गए, अपमान को सहा और सैनिक के सभी परीक्षाओं को पास किया। अब समय आ गया कि जंग के मैदान में उतर कर दुश्मनों का सामना करें और उन्हें मुंह तोड़ जवाब दे। नैना ने अपनी जी जान लगा दी और निडर होकर दुश्मनों का सामना किया। दुश्मन भी दंग रह गए। नैना के हिम्मत और साहस को देख कर, उन्होंने ने धोखे से नैना पर वार किया लेकिन नैना अपनी मां के बारे में न सोचते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए लड़ती रही।

नैना के जस्बे को देख कर भारत सैना के सभी सैनिक ने नैना को सलाम किया। दुःख की बात यह थी कि नैना दुश्मनों के हाथ लग गई थी। दुश्मनों ने नैना को बंदी बना लिया। देश के सभी लोग प्रार्थना कर रहे थे कि वह सही सलामत लौट आए।

नैना के मुंह से हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे। यह सुनकर दुश्मनों को नैना के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था। उन्होंने ने नैना का विडियो बनाया। उन्होंने ने नैना से उसके देश के तिरंगा को काटने के लिए कहा। नैना ने मना कर दिया। दुश्मन के व्यक्ति ने नैना के सामने प्रस्ताव रखा कि वह उसे छोड़ देंगे। नैना ने प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। उन्होंने ने नैना को मौत के घाट उतार दिया। इस विडियो को देख कर, हर हिंदुस्तानी के आंखों में आसूं आ गया। नैना ने उस विडियो में कहा कि मेरे देश की तिरंगा मेरा श्रृंगार है और मेरा श्रृंगार मेरा स्वाभिमान है।

नैना की मां ने कहा कि मैं अकेली नहीं हुं मेरा देश ही मेरा परिवार है। मुझे मेरी बेटी पर गर्व है।

एक लड़की का श्रृंगार उस पर बहुत खिलता है। और वह उसका गुरूर भी है।


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