अबॉर्शन
अबॉर्शन
"एंड द अवार्ड फ़ॉर बेस्ट कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर इन फीमेल केटेगरी गोज़ टू दीपिका वर्मा"
पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
राजीव वर्मा और आरती की आंखों से खुशी के आंसू बहे जा रहे थे-अनवरत।
दोनों दीपिका को इस दुनिया में नहीं लाना चाहते थे किंतु पुत्र मोह में तीसरा चांस ले लिया।दोनों ने दिन रात पुत्र के लिए प्रार्थना की।लेकिन सोनोग्राफी में जब बेटी के होने का पता चला तो दोनों बेचैन हो गए। कितनी शर्म आएगी जब सब कहेंगे कि पुत्र के लालच में तीन तीन लड़कियां पैदा कर ली!अब एक ही रास्ता था- अबॉर्शन ! आरती किसी भी कीमत पर तीसरी बेटी नहीं चाहती थी।
एक जानकार डॉक्टर से बात की लेकिन आरती की रिपोर्ट्स और खराब सेहत देख कर वह साफ मुकर गया। लड़की को जन्म देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता न था।और इस तरह अवांछित दीपिका दुनिया में आ गयी।घर मे उपेक्षित लेकिन स्कूल में शिक्षकों की फेवरेट।कमाल की प्रतिभाशाली।जबरदस्त आर्टिस्ट।अपने शिक्षकों की मदद से सीढी डर सीढ़ी चढ़ती गई। 100 %स्कॉलरशिप पर कॉलेज में पढ़ाई की , फैशन डिजाइनिंग में डिग्री हासिल की ,कॉलेज में अव्वल रहीऔर आज इस मुकाम पर पहुंची। सदी के महानायक के हाथों बिटिया को पुरस्कार लेते देख पिता की छाती गर्व से फूल गयी।माइक पर दीपिका ने जब अपनी सफलता का श्रेय माँ पापा को दिया तो आरती स्वयं पर काबू न रख पाई।हाथ जोड़ कर ईश्वर का धन्यवाद किया और मन ही मन कहा," तेरा लाख लाख शुक्र है माता रानी जो एबॉर्शन जैसे पाप के बारे में सोचने वाले हम जैसे पापी माता पिता की झोली में तूने दीपिका जैसा हीरा डाल दिया।जाने कितने जन्मों के संचित पुण्य होंगे जो ऐसी बेटी हमें मिली।बस एक ही प्रार्थना है कि हर जन्म में मुझे दीपिका ही बेटी के रूप में देना। जुग जुग जिए मेरी बच्ची !"