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हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Inspirational

रावण है कि मरता ही नहीं

रावण है कि मरता ही नहीं

5 mins
200


बड़ा बेशर्म है। मरता ही नहीं कभी। कितनी भी कोशिशें कर लो, हरदम मुंह बांयें खड़ा नजर आता है। निर्लज्ज कहीं का ! किसी का भी लिहाज नहीं है तुझे ? अरे हां, याद आया। अगर लिहाज ही होता तो तू इस तरह चोरों की भांति एक पराई स्त्री को हर कर ला सकता था क्या ? ये काम कोई शर्म वाला इंसान करता है क्या ? बेशर्म इंसानों से ही ऐसी उम्मीद की जा सकती है। और तू तो सबसे बड़ा घोषित रूप से बेशर्म इंसान है। वैसे इंसानों वाले तो कोई गुण है नहीं तुझमें। फिर तुझे इंसान क्यों कहें ? सच में, तू तो राक्षस है राक्षस। लोग तुझे ऐसे ही तो रावण नहीं कहते हैं ना ? 

रावण जोर जोर से हंस रहा था। अट्टहास कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उपहास उड़ा रहा था। पर किसका ? प्रभु श्रीराम का ? आयोजकों का ? अतिथियों का ? या जनता का ? शायद सिस्टम का ? 


मैं बड़ा कन्फ्यूज हुआ। आखिर रावण में इतनी ताकत आती कहां से है ? रावण हर बार थोड़ा थोड़ा बड़ा कैसे हो रहा है ? पहले 100 फुट का होता था अब 150 फुट का होने लगा है। बड़ी तेजी से बढ़ रहा है रावण। और बेचारे राम ! पहले भी पोने छ फुट के थे और आज भी उतने के उतने ही हैं। कोई बढ़ोतरी नहीं हुई उनकी साइज में। अब आप ही बताइये कि रावण मरे कैसे ? सिस्टम रावण की लंबाई बढ़ा रहा है न कि राम की। बल्कि रावण की लंबाई, चौड़ाई बढ़ाने के लिए आंदोलन होता है, जुलूस निकाले जाते हैं। धरना प्रदर्शन सब होता है। इतना होने पर तो लंबाई बढ़ाना वाजिब हो जाता है न ? कभी राम की लंबाई चौड़ाई बढ़ाने के लिए कोई धरना प्रदर्शन वगैरह देखे हैं क्या किसी ने ? 


लोग रावण को देखने आते हैं राम को नहीं। जनता में रावण का क्रेज है राम का नहीं। एक बाप अपने बच्चे को कंधे पर बैठाकर कहता है "देख बेटा, वह रहा रावण। दिख रहा है ना ? और बेटा हां कहता है तब जाकर बाप को संतोष होता है। जैसे कि उसने गढ जीत लिया हो। श्रीराम को दिखाना उसकी प्राथमिकता नहीं है। धीरे धीरे बच्चा भी समझ जाता है कि महत्वपूर्ण तो रावण है राम नहीं। और वह फिर राम के बजाय रावण का प्रशंसक बनने लगता है। इस प्रकार से रावण जनता के दिल में प्रवेश कर जाता है और वहां पर वह धीरे धीरे बढ़ने लगता है। उसे पता है कि उसकी डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है इसलिए वह इसे कैश करने में पीछे नहीं रहता है। वह सिस्टम, जनता, नेता, अतिथि सबसे खाद पानी लेता रहता है इसलिए उसकी जड़ें बहुत गहरे पैंठ बना चुकी हैं। अब उसे मारना तो दूर छूना भी मुहाल हो गया है। 


रावण के चारों ओर लगभग 100 फुट क्षेत्र में बैरिकेडिंग कर दी जाती है और रावण की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की जाती है। मैंने प्रभु श्रीराम की सुरक्षा में तैनात कभी कोई पुलिस नहीं देखी। राम जी पहले भी अकेले ही थे, आज भी अकेले ही हैं। मगर रावण के साथ न केवल उसका परिवार है अपितु सिस्टम, पुलिस और यहां तक कि जनता भी है। जब सब लोग रावण के साथ हों तब भला रावण क्यों मरेगा ? शायद इसीलिए वह जोर जोर से अट्टहास करता है। मेरे जैसे कुबुद्धि पर शायद इसीलिए हंसता है और कहता है कि ऐ बरखुरदार, तुझे इतना सा भी नहीं पता है कि लोग रावण देखने आते हैं, मारने नहीं। मारने का तो दिखावा करते हैं। और मरवाते किस से हैं ? एक ऐसे आदमी से जिसने आज ही भगवा वस्त्र पहने हैं, वो भी दो चार घंटे के लिए ! शायद ये वस्त्र वह किराये पर लाया हो ? किराये के वस्त्रों वाला एक अदना सा आदमी 150 फीट ऊंचे रावण को कैसे मार सकता है ? 


अच्छा, आपका कहना है नैतिक बल से ? राम के वेशधारी व्यक्ति का जीवन कैसा है कौन जानता है ? क्या पता वह शराब,सिगरेट या अन्य किसी नशे के पदार्थ का सेवन करता हो ? जब लोग रावण बनवाने, उसे लगवाने और जलवाने तक में भ्रष्टाचार कर लेते हैं तो वे किस मुंह से रावण को मारेंगे ? जिनके अंदर खुद रावण बैठा है वे भला रावण को कैसे मार सकते हैं ? वे तो रावण का पक्ष ही लेंगे ना ? 


रावण कहता है कि लोग उसे राम से भी ज्यादा सम्मान देते हैं। अरे, इस देश में लोग जब आतंकवादियों के पक्ष में खड़े होकर उन्हें मासूम, भोला भाला, डॉक्टर, मास्टर का बेटा आदि आदि विशेषणों से विभूषित करते रहते हैं तो भला वह क्यों मरेगा ? क्या कभी निर्दोष व्यक्ति के पक्ष में इतने वकील, नेता, पूर्व अधिकारी, जज, बुद्धिजीवी, कलाकार, पत्रकार, उद्योगपति खड़े हुये हैं ? और क्या किसी निर्दोष व्यक्ति के लिए आज तक कभी सुप्रीम कोर्ट रात के बारह बजे खुला है ? रावणों के पक्ष में ही लोग खड़े होते हैं और रावणों की ही पैरवी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी उनके लिए ही खुलता है रात में। आज भी PFI के पक्ष में कौन कौन खड़ा है, सब जानते हैं। रावण इसी समाज और सिस्टम से ही तो अमृत लेता है और उसी के बल पर वह जिंदा रहता है। 


राम में अब वह नैतिक बल कहां रहा है जो उस समय प्रभु श्रीराम में था धर्म पर कायम रहने का बल। उसी बल का प्रताप था कि रावण अपने संगी साथियों सहित मारा गया। भगवा वस्त्र धारण करने से कोई राम नहीं बन जाता है। राम बनने के लिए तपस्या करनी पड़ती है। खुद को कर्म रूपी अग्नि में तपा कर खरा सोना बनना पड़ता है। रावण को मिलने वाले "अमृत" की आपूर्ति बंद करनी पड़ती है। धर्मानुकूल आचरण करना पड़ता है। हर व्यक्ति को राम बनना पड़ेगा तब जाकर यह "अभिमानी, बेशर्म रावण" मर सकेगा। पहले अपने अंदर का रावण तो मार लो ! फिर पुतला जलाना"। 


और भड़भड़ाकर मेरी आंखें खुल गईं। चारों ओर देखा कोई नहीं था। सामने श्रीमती जी अवश्य खड़ी थीं मेरे चेहरे के भाव पढ़ते हुए। मैं मुस्कुराकर रह गया। 


श्री हरि 



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