शक्की आशिक़
शक्की आशिक़
हर कोई अपनी-अपनी तरह से वैलेंटाइन मना रहा है.. और मैं !
शक तो मुझे कई दिन से था कि मेरा बचपन का दोस्त, पुनीत, मेरी इला पर डोरे डाल रहा है पर मुझे कभी इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। अभी कल ही जब पुनीत ने इला को मैसेज किया- “कल की वैलेंटाइन बुकिंग हो गयी हॉलिडे रीजेंसी होटल में।” इत्तेफाक से इला का फ़ोन मेरे पास ही था।
यह पढ़ते ही मेरा तन बदन सुलग गया, “ऐसा कैसे खेल सकते हैं ये लोग मेरे ज़ज्बात के साथ !”
पूरी रात शराब पीकर अपने को मज़बूत किया कि दोनें से बदला ले सकूँ। सुबह खिड़की से घुसकर इला पर चाकू से दे-दना-दन कई बार किये, बहुत वीभत्स लग रही थी वो..
अगला नंबर पुनीत का था..पुनीत जॉगिंग करता हुआ रास्ते में मिला, “अरे नीरज ! तुम यहाँ देवदास बने घूम रहे हो? इला ने बताया नहीं अभी तक ? वो तो तुम्हारे साथ नैनीताल जाने वाली थी.. मुझे तो लगा था तुम निकल चुके होंगे ?”
मेरे दिमाग में जैसे बम फट रहे थे..“तो क्या वो बुकिंग मेरे लिए हुई थी ?”
“हाँ भाई हाँ ! और कौन मनायेगा इला के साथ वैलेंटाइन ?”
मैं जवाब देने के लिए जिंदा नहीं था..।।