हेलमेट
हेलमेट
आशिकों की राह वैसे तो कभी भी आसान नहीं होती, कभी प्रेमिका के प्रणय निवेदन को ठुकराने का दर्द, कभी घरवालों से कुटाई का डर, कभी सीमित जेबख़र्च की आह, कभी कुछ और तो कभी कुछ और। कहा भी गया है कि यह एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है।
इस पहले से ही परेशान आशिकों को और परेशान करने को जैसे पुलिस ने भी कमर कस ली है, “हेलमेट लगाना अनिवार्य” करके। अरे, सोचने की बात है कि प्रेमिका के साथ घूमते हुए, प्रेमिका को संभाले या हेलमेट संभाले।
फिर हेलमेट को पहनने से बाल अलग ख़राब और गर्मी से मेकअप भी ख़राब। मतलब प्रेमिका के सामने इज्ज़त का फलूदा। ना पहने तो पुलिसियों से भिड़ता रहे और अपनी पहले से ही फटेहाल ज़ेब का छेद और चौड़ा करता रहे।
फिर लड़कीयें पटाना भी अब आसान नहीं रहा। अब सामने से कोई हसीना आ भी रही हो तो जब तक हेलमेट उतार कर उसको अपना चेहरा दिखाने की नौवत आये तब तक तो हसीना ये जा वो जा। बिना हेलमेट उतारे कैसे सीटी मारो कैसे इशारे करो
किसी को कोशिश करके पटा भी लो तो पीछे वाली सवारी को भी हेलमेट पहनना जरुरी है, अब बताओ कौन हसीना अपने साथ हेलमेट लिए घूमती है! फिर अभी हेलमेट इतने कलर और डिजाईन में आते ही कहाँ हैं कि लड़कीयें हेलमेट को अपनी वार्डरोब में जगह दे और न ही अभी तक किसी मशहूर फ़िल्म में हीरोइन ने हेलमेट पहना है जो हेलमेट फैशन में आये। इस सबका नतीज़ा यह होता है कि कार वाले बाइक वालों से बाज़ी मार ले जाते हैं। कितना मुश्किल होता है एक मिडिल क्लास परिवार के लिए ज़िन्दगी को जीना।
बाइक पर रोमांस की प्रथा तो जैसे अब विलुप्त ही हो जाएगी। कितना अच्छा लगता था जब प्रेमिका पीछे से अपने आगोश में भर के गर्दन पर प्यारा गर्मा-गर्म चुम्बन अंकित करती थी, या कानों में अपनी वाणी से रस घोल देती थी पर अब हेलमेट की दीवार ने सब ख़त्म कर दिया।
हम, आल इंडिया रोड रोमियो छिछोरा यूनियन, की तरफ़ से पुलिस से इस नियम को ख़त्म करने की पुरजोर मांग करते हैं।
या अल्लाह ! या तो पुलिस वालों को सद्बुद्धि दे और यह नियम ख़त्म करा दे या वैज्ञानिकों को इतना ज्ञान दे कि वो ऐसे हेलमेट बनाये जो पुलिस वालो को दूर से ही देख लें और अपने आप सर पर प्रकट हो जाएँ, आमीन !