बड़ी बात
बड़ी बात
हनु जैसा की छोटे बच्चों को घर में बुलाया जाता है ये नाम था उस ८ साल के बेहद शरारती बच्चे का ,
वैसे स्कूल में पंकज था उसका नाम दोस्तों और उनसे लड़ाई झगड़े की एक लम्बी लिस्ट, कट्टी और अब्बा वाले नाम हर रोज़ बदलते रहते थे उसकी लिस्ट में, कोई छुट्टी हो या त्यौहार बस उसमें डूब जाने की तैयारी कई दिनों पहले ही उसके दिमाग को जगाये रखती, फिर भला वो अपने बर्थडे को कैसे यूं ही जाने दे सकता था...
और अब तो वैसे भी “अब तो मैं बड़ा हो गया हूँ,”...ये उसको लगता था, इस बार १५ दिन पहले से ही सारे प्लान तैयार थे बस इंतज़ार था तो बस उसकी अप्रूवल का. सिर्फ ३००० ही तो चाहिए वो अपनी माँ को समझा रहा था इतने सारे दोस्त है मेरे..
वैसे भी बर्थडे के मौके पर कौन कट्टी रहना चाहेगा...तो हुए न दोस्त बहुत सारे दोस्त, खैर वो दिन तो आना ही था, आज हनु जी ३००० रूपए लेकर सीना ताने आधा घंटा पहले ही तैयार हैं. खैर बस आई और हनु जी का खूब स्वागत हुआ जैसे की कोई स्टार आ गया था, समय को तो बीतना ही था जैसे ही दो बजे हनु स्कूल से लौट आया...अरे यह क्या बिलकुल शांत न कोई उछल कूद न सामान का यहाँ वहां पटकना...सब अजीब सा शांत
अधिक समय नहीं लगा हनु को आखिर माँ के सामने “-मैंने बर्थडे नहीं मनाया मम्मी और पैसे भी सब खर्च हो गए ”
वो थोड़ा भरे हुए गले से बोला कि आज पहले ही पीरियड में हमारी क्लास के एक बच्चे को फ़ीस जमा न करने के कारण मैडम उसको प्रिंसिपल के पास ले जा रही थी ताकि उसे स्कूल से निकल दिया जाये वो मेरा दोस्त
बेचारा रोये जा रहा था, मैंने झट से ३००० रूपए निकालकर मैडम को दे दिए ,वैसे भी अभी थोड़ी देर में वो खर्च होने ही थे “मैंने ठीक किया न माँ” -हनु मेरी तरफ देख कर बोला...
लेकिन माँ को तो जैसे होश ही नहीं था वो विश्वास ही नहीं कर पा रही थी की ये मेरा वही ८ साल का शरारती
बेटा है “अरे तू इतना बड़ा कब हो गया हमें पता ही नहीं चला “-उसको सीने से लगाते हुए माँ बोली.