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गुमशुदाभाग 7

गुमशुदाभाग 7

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भाग 7 

अगले दिन देशमुख थाने में बैठा हुआ केस पर विचार कर रहा था कि एक बदहवास औरत थाने में दाखिल हुई। रूप रंग और पहनावे से वह गरीब मालूम पड़ रही थी। वह आकर ड्यूटी पर तैनात हवलदार से बोली, साब, मेरा आदमी चार दिन पहले दो दिन के लिए बाहरगांव जा रहा हूँ ऐसा बोलकर गया लेकिन आज तक नहीं लौटा, और उसका फोन भी बंद आ रहा है। 
हवलदार ने पूछा, तुम्हारा आदमी क्या काम करता है? 
वो टैक्सी चलाता है साब! औरत बोली 
देशमुख के कान खड़े हो गए। उसने तुरंत ड्यूटी पर तैनात हवलदार को आवाज देकर उस महिला को अपनी टेबल पर लेकर आने को कहा। वह आकर देशमुख की टेबल के सामने खड़ी हो गई।
बैठो, देशमुख ने कहा, क्या नाम है तुम्हारा? 
-जी हमारा नाम बबीता यादव है।
-तुम्हारे आदमी का नाम? 
उसने शरमाकर सिर झुका लिया फिर अपना बायां हाथ आगे कर दिया। उसपर सजीवन लिखा हुआ था। 
-तुम्हारे आदमी का नाम सजीवन यादव है? 
-जी साब! 
-तुम्हे अपने आदमी की टैक्सी का नम्बर मालूम है? 
-नहीं साब! वो काले पीले रंग की टैक्सी चलाते हैं। फ़ियाट कार!! 
-ये नाम कैसे मालूम पड़ा? 
-साब, उन्होंने ही बताया था। बबीता फिर शरमाती हुई बोली।
देशमुख ने पूछा, चलो नम्बर नहीं मालूम तो कोई बात नहीं, लेकिन क्या तुम टैक्सी को देखकर पहचान सकती हो? 
-हां साब! पहचान लूँगी। 
देशमुख ने अपनी दराज से छह गुणा आठ साइज की तीन चार तस्वीरें निकालकर टेबल पर रख दीं, उसने एहतियातन वो तस्वीरें अलग कर लीं थी जिसमें ड्राइवर की लाश पड़ी थी। 
टैक्सी की तस्वीर देखते ही बबीता ने तुरंत कहा, हां यही मेरी टैक्सी है साब! फिर टैक्सी की हालत देखकर उसे भान हुआ कि जरूर उसके पति के साथ कोई अनहोनी हो गई है, वह चीख कर बोली, मेरा आदमी किधर है साब? 
देशमुख के इशारे पर एक लेडी कांस्टेबल ने आकर बबीता को संभाल लिया।
देखो बाई, देशमुख बोला, हमको शक है कि तुम्हारा आदमी इस दुनियाँ में नहीं है, हमको इस टैक्सी के साथ एक बॉडी मिली है तुम चलकर देख लो! 
बबीता थोड़ी देर देशमुख को ऐसे देखती रही मानो उसकी समझ में ही नहीं आ रहा हो, फिर वह अचानक बुक्का फाड़ कर रो पड़ी। किसी तरह उसे चुप कराकर मोर्ग में ले जाया गया जहां जाकर लाश देखते ही उसके दांतों पर दांत जम गए और वह बेहोश होकर गिर पड़ी!


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