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Mahesh Dube

Thriller

1.4  

Mahesh Dube

Thriller

मकड़जाल भाग 7

मकड़जाल भाग 7

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मकड़ जाल भाग 7

 

       नए सिरे से अब नौकरानी की हत्या की पड़ताल शुरू हुई। आस पास में पूछताछ से पता चला कि नौकरानी सुब्बुलक्ष्मी का सभी से बहुत मधुर व्यवहार था। उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और न ही यह हत्या लूटपाट के इरादे से की गई थी। हो न हो इस हत्या का रत्नाकर शेट्टी की हत्या से सम्बन्ध था। कल मोर्ग में इसका प्रलाप, आज तबीयत खराब होने की बात और फिर निर्मम हत्या! विशाल का माथा ठनकने लगा। उसके मन में कुछ खटक रहा था। कोई बात थी जो उसकी समझ में नहीं आ रही थी। विशाल तुरंत मिसेज शेट्टी से मिलने पहुंचा। 

नमस्ते मैडम! क्या आपको खबर मिली कि आपकी नौकरानी सुब्बुलक्ष्मी का क़त्ल हो गया?

हाँ! मिसेज शेट्टी बोली, और रुमाल से आँखें पोंछने लगी।  

क्या आप बता सकती हैं कि उसके क़त्ल की क्या वजह हो सकती है?

मुझे नहीं पता! वो तो बहुत भली औरत थी। पता नहीं उसे किसी ने क्यों मारा 

मैडम! कल आपके यहाँ बीमा कंपनी का आदमी क्यों आया था?

मेरे पति की मौत के बाद उनके बीमे की रकम का भुगतान करने के लिए जरुरी कागजी कार्यवाही करने आया था। 

कितने रूपये की पॉलिसी थी आपके पति की?

यह सब तो मुझे पता नहीं है ऑफिसर! हमारा सी ए जानता होगा।  मिसेज शेट्टी ने अनभिज्ञता प्रकट की।

टेबल पर कल के बीमा ऑफिसर का विजिटिंग कार्ड पड़ा हुआ था। विशाल ने उसपर लिखा मोबाइल नंबर देखकर याद कर लिया। 09869123000! नंबर आसान था। फिर भी विशाल ने मैडम से तुरन्त आज्ञा ली और बाहर निकल कर तुरन्त नम्बर पंच किया। 

हेलो! सुभाष पांचाल हियर! सामने से आवाज आई

एल आई सी एजेंट? विशाल ने पूछा

यस! 

मैं सब इंस्पेक्टर विशाल शुक्ला बोल रहा हूँ। आप दोपहर बाद जरा पुलिस स्टेशन में आइये।

क्या बात है? सुभाष ने पूछा 

रत्नाकर शेट्टी के खून की बाबत कुछ बात करनी है 

ओके! आता हूँ। 

       दोपहर बाद लन्च करके विशाल अलसाया सा ऑफिस में बैठा था तभी सुभाष पांचाल का आगमन हुआ। विशाल ने उससे हाथ मिलाया और बैठने को कहा। 

मि. सुभाष! मैं रत्नाकर शेट्टी मर्डर से जुड़ी कुछ जानकारी चाहता हूँ।

बोलिये साहब! 

कल आप शेट्टी के घर गए थे तब मैंने आपको देखा था, आप वहाँ क्यों गए थे? विशाल ने पूछा। 

मैंने भी आपको देखा था साहब। दरअसल शेट्टी साहब की मौत के बाद उनकी पॉलिसी के भुगतान के लिए कागजों पर मैडम के सिग्नेचर लेने गया था। क्यों कि वे ही पॉलिसी की नॉमिनी हैं। 

शेट्टी साहब की पॉलिसी कितने रूपये की थी?

दस करोड़ की! 

क्या? विशाल हैरत से चिल्ला उठा, इतनी बड़ी पॉलिसी?

हाँ साहब! सुभाष मरे स्वर में बोला, मैंने ही दो महीने पहले यह पॉलिसी बेची थी। तब मेरे उच्चाधिकारी मेरे इस काम से बेहद खुश थे। दो बार मोटी रकम का प्रीमियम भी मिला। तब तक अचानक यह दुर्घटना हो गई और हमपर इतनी बड़ी देनदारी आ गई है। मेरे उच्चाधिकारी भी टेंशन में हैं।  

क्या शेट्टी की पॉलिसी हत्या को भी कवर करती है? विशाल ने पूछा। 

हाँ! आत्महत्या के अलावा किसी भी तरह से हुई मौत पर हम पैसे देने को बाध्य होंगे ऐसा नियम है उसमें। 

अगर किसी तरह यह साबित हो जाए कि बीमे की रकम के लिए रत्नाकर शेट्टी की हत्या की गई है तो क्या होगा?

साहब! आप यदि ऐसा कर दें तो मैं आपका बेहद आभारी रहूँगा। मेरी नौकरी पर तलवार लटक रही है। मेरे उच्चाधिकारी मुझपर ठीकरा फोड़ रहे हैं।  

बीमा व्यवसाय में तो ऐसा चलता रहता है सुभाष! इसमें तुम्हारी क्या गलती है? 

साहब! इतनी बड़ी पॉलिसी मिलने के उत्साह में मैंने रत्नाकर शेट्टी की मुकम्मल जांच नहीं की। उसके चेहरे के एक तिल को पहचान का जरिया लिखा था और दुर्भाग्यवश खूनी ने शेट्टी का चेहरा क्षतिग्रस्त कर दिया। वैसे मिसेज शेट्टी ने निर्विवाद रूप से अपने पति की लाश को पहचान लिया है पर मेरे अधिकारी मुझे कामचोर ठहरा कर अपनी खीझ मिटा रहे हैं। 

देखता हूँ क्या होता है! कहकर विशाल ने उसे विदा कर दिया और नए एंगल से जांच को तैयार हो गया।


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