तुम मेरे लायक नहीं
तुम मेरे लायक नहीं
श्रुति की आंखों के आगे अंधेरा सा आ गया था वो यकीन नहीं कर पा रही थी कि ऐसा उसके साथ हो रहा है।
"मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं इतना खुशकिस्मत भी हूँ, मुझे कोई इतना भी चाहता है।" श्रुति ने जब अपने हाथ से बनाई स्क्रैप बुक अखिल को उसके जन्मदिन पर गिफ्ट की तो अखिल देखता ही रह गया फिर उसने श्रुति को गले लगा लिया, कहने को उनकी अरेंज मैरिज हो रही थी, पर दोनों का प्यार देख ऐसा लगता था कि ये कई जन्मों का बंधन है।
श्रुति अपने डॉक्टर माँ-पापा की डॉक्टर बेटी थी, बचपन से ही मेधावी। माँ-पापा की इकलौती लाडली बेटी। उसके पापा का सपना था कि वो भी डॉक्टर बने उसने भी अपने पापा का सपना पूरा किया। श्रुति की शादी लायक उम्र हुई तो माँ-पापा ने सुयोग्य वर देखना शुरू किया, उसके पिता की यही इच्छा थी कि लड़का भी डॉक्टर हो ताकि वो इस पेशे की व्यस्तता को समझ सके। एक मैट्रीमोनी साइट पर श्रुति और उसके पिता ने अखिल का प्रोफाइल देखा, अखिल भी डॉक्टर था और उसकी भी यही इच्छा थी कि उसकी होने वाली हमसफर भी इसी प्रोफेशन से जुड़ी हो।
अखिल के बारे में पूरी जानकारी करने के बाद श्रुति के पापा ने मिलने का प्रोग्राम बनाया। अगले ही दिन अखिल और उसके घरवाले श्रुति के शहर भोपाल आ गए, अखिल का परिवार इंदौर का जाना माना परिवार था। श्रुति ने अखिल से बात की तो वो उसे बहुत ही सुलझे हुए विचारों का लड़का लगा, वो भविष्य में अपना खुद का हॉस्पिटल खोलना चाहता था, साथ ही ऐसी हमसफर चाहता था जो जिंदगी के हर सफर में उसका साथ दे, एक दोस्त की तरह।
श्रुति और उसके परिवार को अखिल पसंद आया और अखिल और उसके परिवार को भी श्रुति पसंद आई। अगले महीने दोनों की सगाई की तारीख भी निकल गयी। श्रुति और अखिल की बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। दोनों कम ही समय में एक-दूसरे को पसंद करने लगे।
विक्रम जी ने अपनी बेटी श्रुति की सगाई का समारोह बड़े धूमधाम से किया। आखिर श्रुति उनकी एकलौती बेटी जो थी। सब लोग श्रुति और अखिल की जोड़ी को सराह रहे थे। बिल्कुल मेड ऑफ इच अदर वाला जोड़ा लग रहा था। श्रुति और अखिल एक नई जिंदगी का ख्वाब देखने लगे, दिन कब महीनों में बदले और कब श्रुति की शादी के दिन नजदीक आ गए पता ही नहीं चला।
इसी व्यस्तता के बीच एक कशमकश विक्रम जी के दिल मे थीं, अखिल के पिताजी के मेहमानों की लिस्ट बढ़ती ही जा रही थी, साथ मे रीतिरिवाजों के नाम पर दिए जा रहे नेग की भी, पर हर कोई अपने बच्चों की शादी के लिए ये सपने देखता है ये सोच कर विक्रम जी ने कुछ नहीं कहा और शादी की तैयारियों में जुटे रहे।
आखिर शादी का दिन आ ही गया, बारातियों का स्वागत धूमधाम से किया गया, पर विक्रम जी अखिल के पिताजी के चेहरे की सलवटों को देख कर परेशान थे। थोड़ी ही देर बाद अखिल के पिताजी ने विक्रम जी से कुछ बात की, उनका चेहरा मुरझा से गया।
"श्रुति आज तो अखिल जीजू गए, तू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही, लगता है हमें हाथों में पानी ले कर खड़ा होना पड़ेगा, ताकि अखिल जीजू तुझे देख कर जब बेहोश हो जाये तो हम होश में ला पाए उन्हें।" श्रुति की सहेलियां श्रुति को छेड़े जा रही थी। थोड़ी देर में वो सब बारात के स्वागत के लिये नीचे चली गयी, श्रुति कमरे में अकेले खड़ी थी, तभी उसके पापा आ गए।
विक्रम जी ने जब अपनी बेटी को दुल्हन के लिबास में देखा उनके आंसू आ गये, श्रुति ने अपने पापा को गले से लगा लिया। श्रुति ने पापा को गौर से देखा वो अपने पापा का चेहरा पढ़ना बखूबी जानती थी, आखिर उनकी लाडली बेटी जो थी।
"पापा, आप इतने परेशान लग रहे है क्या बात है ? आप बताइए मुझे आपको मेरी कसम।"
श्रुति को यकीन नहीं हो रहा था कि उसने जो सुना था वो सच था, अखिल के पापा ने कहा कि वो शादी के फेरे तब ही दिलवाएंगे जब उन्हें 50 लाख रुपये कैश और एक बड़ी गाड़ी दी जाएगी। मगर ऐसा क्यों कह रहे हैं वो अखिल के घरवालों को तो किसी बात की कमी नहीं।
"पापा, लगता है कोई गलतफहमी है आप एक बार मेरी अखिल से बात करवा दीजिये।" श्रुति की आंखों में आंसू आ गए।
थोड़ी ही देर में अखिल, श्रुति के सामने खड़ा था। श्रुति ने अखिल से सवाल किया।
"श्रुति देखो ये तुम्हारे और मेरे फ्यूचर के लिये ही तो है, आखिर तुम तुम्हारे मम्मी-पापा की एकलौती बेटी हो इतना तो वो करेंगे ही हमारे लिये। मैं जल्द ही अपने हॉस्पिटल के सपने को शुरू करना चाहता हूँ। बस शादी खत्म होने दो हम स्विट्ज़रलैंड हनीमून के लिये निकलेंगे। इटस् नोट ए बिग डील।" अखिल के मुँह से ये शब्द निकल रहे थे और श्रुति जड़वत हो गयी थी।
उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। दहेज....न जाने कब तक लड़कियाँ इस दहेज की बलिवेदी पर चढ़ती रहेगी, वो जानती है ये एक ऐसी भूख है जो कभी शांत नहीं होती, सुरसा का मुंह है जो बढ़ता ही चला जायेगा, कल कोई और थी, आज वहाँ श्रुति खड़ी है, नहीं वो अपनी बलि नहीं चढ़ाएगी।
"श्रुति, श्रुति...तुम समझ रही हो न मैं क्या कह रहा हूँ, इटस् नॉट अबाउट मी, इटय् अबाउट अस।" अखिल ने खोई हुई श्रुति को झकझोरा।
"अखिल जो तुम कह रहे हो मैं समझ रही हूँ, वो भी बिल्कुल अच्छे तरीके से, जरूरी है कि मेरा फ्यूचर सिक्योर हो।" श्रुति ने कहा तो अखिल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी वो श्रुति को गले लगाने ही वाला था कि-
"रुको, ये मेरे फ्यूचर के बारे में है तो मैं अपना फ्युचर सिक्योर कर रही हूँ तुमसे शादी न कर के। जो इंसान अपनी काबिलियत पर नहीं बल्कि अपनी बीवी के पैसों से अपना भविष्य बनाना चाहता है वो क्या मेरा फ्यूचर बनायेगा, तो अखिल जी सुनिए आप, आप मेरे लायक नहीं है तो जितनी जल्दी अपनी पलटन ले जा सकते हैं, लेकर निकल जाइए और हाँ मैंने ये सारी बात अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर ली है तो अब आप ये पैसे की डिमांड पुलिस चौकी में करना।"
श्रुति ने अखिल को करारा जवाब दिया अखिल के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी। श्रुति पलटी और कमरे से बाहर निकल गयी, विक्रम जी बाहर खड़े सब सुन रहे थे, वो दुखी थे पर उन्हें खुशी थीं कि उनकी बेटी ने अपने आप को दहेज की बलिवेदी पर चढ़ने से बचा लिया।