मकड़जाल भाग 10
मकड़जाल भाग 10
मकड़ जाल भाग 10
विशाल अपनी फुल वर्दी में मिसेज शेट्टी के घर जा पहुंचा। उसे उम्मीद थी कि मैडम नहीं मिलेगी। जो होटल संगीता से फरार हो चुकी हो वो वापस पुलिस के फंदे में फंसने क्यों आएगी भला? लेकिन तब विशाल मानो आकाश से गिरा जब कमउम्र नौकरानी ने बताया कि मैडम घर में ही हैं!
मैडम कितनी देर पहले घर आई? विशाल ने पूछा
नौकरानी ऐसी मुद्रा में विशाल को देखने लगी मानो उसे सवाल ही न समझ आया हो
विशाल ने जोर देकर सवाल दुहराया तो वह बोली, मेम साब सुबे से इदरिच है। किदर नई गया!
विशाल को झटके पर झटके लग रहे थे। वो बोला, मैडम को बुलाओ
वो बोली, मैडम बीमार है। बाहर नई आता, तुम अंदर आओ
भीतर बैडरूम में पहुँच कर विशाल स्तब्ध रह गया। मिसेज शेट्टी अपने विशाल पलंग पर आँखें मूंदे चित पड़ी थी। उनके सिरहाने ग्लूकोज की बोतल का स्टैंड लगा हुआ था जिसमें से उन्हें ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था । शक्ल से ही संजीदा लगता एक व्यक्ति उनकी नब्ज थामे स्टूल पर बैठा हुआ था। उसके गले में स्टेथोस्कोप लटका हुआ था और उसके चेहरे पर गहन चिंता के भाव थे।
क्या हुआ? अनायास ही विशाल के मुंह से निकला
कल रात माइनर हार्ट अटैक आया है ऑफिसर!
आप यहाँ कब से हैं डॉक्टर...विशाल ने पूछा
सान्याल! माय सेल्फ डॉ सान्याल ऑफिसर! मैं कल रात से ही यहाँ हूँ। मैं इनका फॅमिली डॉक्टर हूँ। शेट्टी साहब के खौफनाक अंत को ये झेल नहीं पा रही हैं शायद इसी के परिणामस्वरूप इन्हें भी दिल का दौरा पड़ गया है।
आपको पूरा विश्वास है डॉ सान्याल कि ये कल रात से यहीं हैं?
डॉ सान्याल आँखें चौड़ी करते हुए बोले, कमाल करते हो! कल रात से ही मैं यहाँ हूँ। इनकी स्थिति स्थिर किंतु चिंताजनक है। ऐसी हालत में इनका हिलना भी दूसरे दौरे की बुनियाद होगा। अभी भी कम से कम 48 घण्टे ये इसी अवस्था में रहेंगी।
विशाल ने अपने जीवन में ऐसा धोखा कभी नहीं खाया था। कद-काठी और चालढाल से उसने जिस महिला को मिसेज शेट्टी समझा था वह न जाने कौन थी और जाने कहाँ गायब हो गई थी उसे लगा मानो वह किसी बड़े से मकड़ जाल में फंस गया है। अचानक मिसेज शेट्टी की नींद खुल गई। उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी पलकें खोलीं और विशाल की ओर थकी नजरों से देखा । उनकी निगाहों में हजारों सवाल उभरे पर डॉ सान्याल ने हौले से उनकी कलाई को पकड़कर आश्वासन के भाव से दबाया तो उन्होंने फिर आँख मूँद ली। अचानक विशाल का मोबाइल बज उठा एक गंभीर रूप से बीमार के सिरहाने घंटी की जोरदार आवाज होने से विशाल हड़बड़ा गया और जल्दी से पतलून की जेब से मोबाइल निकाल कर उसे साइलेंट करने की कोशिश करने लगा कि वह उसके हाथ से छूट गया और जमीन पर जा गिरा। विशाल ने झपटकर उसे उठाया और साइलेंट करके क्षमा मांगने लगा। डॉ ने सिर हिलाकर विशाल को जाने का इशारा किया तो निरुपाय विशाल किंकर्तव्यविमूढ़ सा वहाँ से विदा हो गया लेकिन वह दरवाजे पर पहुंच कर मुड़ा और उसे छोड़ने दरवाजे तक आई नौकरानी से ऊँचे स्वर में बोला, मैं दो दिन बाद फिर आता हूँ जरा मैडम ठीक हो जाएं तो उनको बोल देना।
ओके! बोल देगा, उसने सहमति में सिर हिलाते कहा
विशाल ने दरवाजे के पास रखी जूतों की छोटी सी आलमारी पर अपनी पुलिस कैप रखी थी वह उठाकर पहनी और बाहर चल दिया।
बाहर निकल कर विशाल लिफ्ट से नीचे पहुंचा पर बाहर नहीं निकला उसने फिर ग्यारहवीं मंजिल का बटन दबा दिया ऊपर पहुंचकर वह दबे पांव सीढ़ियों से एक मंजिल उतरा और शेट्टी के दरवाजे पर जा पहुंचा। उसने कान लगाकर भीतर का जायजा लेने की कोशिश की तो दबे स्वर में हंसने की आवाज आई। विशाल ने पतलून की जेब से चाबी का एक गुच्छा निकाला। उसने झुक कर दरवाजे पर लगे नाइट लैच का नाम पढ़ा फिर चाबी पर भी नाम जांचकर धीरे से चाबी लैच में प्रविष्ट की और धीरे-धीरे चाबी घुमाने लगा। सौभाग्य से चाबी घूम गई। विशाल ने झटके से दरवाजा खोला और भीतर कूद पड़ा। भीतर का दृश्य बेहद चौंकाने वाला निकला।
कहानी अभी जारी है
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