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Swati Grover

Horror Fantasy

4  

Swati Grover

Horror Fantasy

डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

22 mins
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यास्मिन ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत डरावने चेहरे हैं । सभी लाल-काल-पीले मुँह वाले लोग उसकी तरफ बढ़ रहें हैं और उसके आसपास घेरा-सा बनता जा रहा हैं। वह ज़ोर से चिल्लाई बचाओं!!!! तभी स्पीड ब्रेकर आया और उसकी आँख खुल गयी, उसने पानी पिया और फिर नज़र घुमाकर देखा तो कोई बस की खिड़की से बाहर देख रहा है, किसी के कानों में हेडफ़ोन लगे थें तो कोई बतियाने में, कोई सोने में मस्त था और बस की सबसे पीछे वाली सीट पर एक ग्रुप बैठकर खूब हँसी-मज़ाक कर रहा था । उसे थोड़ी राहत महसूस हुई कि वह सिर्फ एक सपना देख रही थीं, आज से पहले ऐसा डरावना सपना उसने कभी नही देखा था। खिड़की से बाहर देखा तो बस अब भीड़-भार वाली सड़क से निकल सुनसान रास्ते की और बढ़ती जा रही थीं। दाएँ-बाएँ घना जंगल और बीचों-बीच रास्ते पर चलती हुई बस । "पता नहीं कब आएँगी मेरी मंज़िल? देश का एक कोना और उस कोने में एक छोटा सा गॉंव। गॉंव ख़त्म होते ही दूसरे देश का बॉर्डर शुरू हो जाएगा । मुझे सिर्फ उस गॉंव में पहुँचना है। अब नींद नही आएँगी। एक बार सोकर देख लिया, ऐसा लग रहा है कि अब भी डरावने चेहरे उसे घूर रहे हों। उसने ध्यान हटाने के लिए खिड़की के बाहर की तस्वीरें अपने फ़ोन से खींचनी शुरू कर दी।

'शाम ढलने वाली है और ऐसे घने जंगल का दृश्य लोगों को देखने में काफी रोमांचक लगेगा।' यास्मिन ने फ़ोटो क्लिक करते हुए मन में सोचा। तभी जंगल सटा एक ढाबा दिखा और बस वही रुक गयी। "आप सब लोग कुछ खा लीजिये या किसी को फ्रेश होना है तो हों लीजिये। थोड़ी देर में बस चल पड़ेगी" । ड्राइवर ने सभी सवारियों को सूचना दीं । सभी धीरे-धीरे बस से उतरने लगे, पीछे वाली सीट पर बैठे ग्रुप के एक लड़के ने उसे देखा और कहा, "पहले आप उतर जाइयें मिस।" जैसे ही यास्मिन ने यह सुना वह बिना देरी किये उसके आगे आ गयी । जैसे उसे डर था कि अगर सबसे आखिरी में उतरेगी कहीं कोई पीछे से पकड़ ही न ले। यास्मिन ने उतरकर थैंक्स कहा, और वो लड़का मुस्कुराता हुआ ढाबे की तरफ बढ़ गया । 

यास्मिन ने ढाबे को गौर से देखा । दो-तीन लोग जो ढाबे में काम कर रहें थें और एक तरफ कोने में बना हुआ छोटा सा टॉयलेट, जहाँ लोगों की लाइन लग चुकी थीं । यास्मिन वहीं किसी कोने में कुर्सी पर बैठ गई और अपनी बोतल निकाल पानी पीने लगी उसे भूख़ नहीं थीं पर चाय पीने की इच्छा थीं । इसलिए ढाबे वाले के पूछने पर उसने चाय का आर्डर दे दिया। सूरज ढल चुका था, ढाबे में लगे चमचमाते बल्ब की रोशनी में ढाबे का नाम पढ़ा तो उसे हल्की सी हँसी आ गई "न मिले दूजा लो करो पेट-पूजा" । "हैल्लो मेरा नाम तारुश है "। लगता है, आप अकेले सफर कर रही है तो हमारे ग्रुप को ज्वाइन कर ले, सफ़र अच्छा कट जाएगा ।" तारुश ने मुस्कुराते हुए पूछा । यास्मिन ने उसे गौर से देखा, 'लम्बा कद, गोरा चेहरा चेहरे पर हलकी सी दाढ़ी, भूरी आँखें, जिम में जाकर मेहनत भी की है , इसकी आकर्षक फिज़ीक तो यही बताती है। जब बस से पहले उतरने के लिए इसने कहा था, तब मैंने इसे गौर से नहीं देखा था । यास्मिन ने सोचा। " मैं आप सभी को बोर नहीं करना चाहती । इसलिए ऐसे ही ठीक हूँ" यास्मिन ने चाय का घूँट भरकर कहा । "मुझे पूरा यक़ीन है आप बोर नहीं करेंगी ।" तारुश का यह ज़वाब सुनकर यास्मिन मना नहीं कर सकी । और उन सबके साथ जा बैठी । ये पुनीत, ऋचा, समीर, गौरव और नितिशा सबका इंट्रो तारुश ने कराया । "मैं यास्मिन" सभी ने हैल्लो कहा और बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया । यास्मिन को उनकी बातों से पता लगा कि वे सब वर्किंग है और अपने ऑफिस के काम से ब्रेक लेकर घूमने जा रहें हैं । मैं पेशे से एक गाइड हूँ पर कुछ निज़ी काम की वजह यह सफ़र कर रही हूँ । तभी ऋचा ने बोला कि उसे फ्रेश होना है मगर टॉयलेट बहुत गन्दा हो चुका है तो पुनीत ने साथ फैले जंगल में जाकर करने को कहा, "मुझे डर लगता है यार ! कोई जंगली जानवर या कोई भूत मुझे खा गए तो ??? इसलिए पुनीत तुम चलो मेरे साथ। "कौन खायेगा तुम्हें ??? किसे अपना हाज़मा ख़राब करना हैं, मैं नहीं जा रहा ।" पुनीत ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा । "मैं चलती हूँ" यास्मिन ने कुर्सी से उठते हुए कहा। "मैं गर्ल्स को अकेले नहीं जाने दे सकता" यह कहकर तारुश जाने के लिए खड़ा हो गया । "हाँ, आजकल तू वैसे भी लोगों को ज़्यादा ही कंपनी दे रहा हैं ।" गौरव ने मज़ाक उड़ाया और सब हँसने लगे । "जस्ट शट अप " तारुश ने ज़वाब दिया और तीनों जंगल की ओर जाने लगे ।

यास्मिन एक-एक पेड़ को गौर से देख रहीं थीं । हवा के चलने से पत्ते हिलते और वह डर जाती । "तारुश, तुम उस तरफ़ चल जाओं और हम इस तरफ होकर आते हैं। ऋचा ने दिशा दिखाते हुए कहा । तुम इसी पेड़ के पास मिलना, जिस पर यह घोंसला हैं । कहकर तारुश उस रास्ते चला गया । और ऋचा और यास्मिन थोड़ी आगे जाकर रुक गई। तभी ऋचा बोल पड़ी, "तुम गाइड हों, घूमती रहती होंगी पर मुझसे ज़्यादा डरपोक लग रही हों ।" "पता नहीं, आज मन कुछ अजीब सा हो रहा है और वैसे भी किसने कहा कि गाइड को डर नहीं लगता।" यास्मिन ने थोड़ा चिढ़कर कहा । "अरे ! यार! तुम बुरा मान रही हों , मेरा मतलब यह नहीं था, तुम इतना घूमती हूँ तो बोल्डनेस नेचुरल है।" दोनों उस पेड़ की तरफ़ आ रही थीं। "तुम सब पुराने दोस्त हों?" यास्मिन ने टॉपिक बदलने के लिए पूछा। "हाँ, काफ़ी पुराने दोस्त हैं , निकिता और गौरव एक दूसरे को डेट भी कर हैं और अब लगता है कि

 शायद तारुश को भी कोई पसंद आ गयी है।" ऋचा ने यास्मिन को देखते हुए कहा तो वह झेंप गई । "पता नहीं, यह तारुश कहाँ रह गया? अब तो मोबाइल का टोर्च भी कम रोशनी दे रहा हैं ," तभी ऋचा के पास से कोई बड़ा सा परिंदा गुज़रा ही था कि वह ज़ोर से चिल्लाई और यास्मिन पर गिर गई । "तुम ठीक हों ?" यास्मिन ने उसे खड़ा किया। इसे पहले ऋचा कुछ कहती तभी जंगल की तरफ़ से ज़ोर-ज़ोर की चीखें आने लगी और ऋचा और यास्मिन ढाबे की तरफ़ भागी ।


डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

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ढाबे पर पहले ही हल्ला मचा हुआ था, लोग चिल्ला रहे थें कि अभी तक ड्राइवर नहीं आया था और देर हो रही थीं । "सुनो ! वहाँ जंगल में तारुश! तारुश! ऋचा के मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थीं। "अरे ! आराम से बताओ, क्या हुआ"? गौरव ने ऋचा को सँभालते हुए पूछा। इससे पहले वो कुछ बताती। तारुश आता दिखाई दिया

। "तुम कहाँ रह गए थें, यार ! "आ ही रहा था, जब तुम दोनों को पेड़ के पास नहीं देखा तो यहाँ आ गया ।" तारुश ने ज़वाब दिया । "तुमने कोई चीखें सुनी थीं ? यास्मिन ने पूछा। "हाँ!, कुछ सुना जरूर था । तारुश ने थोड़ा उत्सुकतावश कहा। "यार ! यह ड्राइवर कहाँ मर गया ?" पुनीत बेचैन होकर बोला। ऋचा के मुँह से निकला, " कहीं ड्राइवर सचमुच मर तो नहीं गया"? यास्मिन की गहरी नीली आँखों में डर साफ़ झलक रहा था, उसने बस को गौर से देखा सभी डरावने चेहरे खिड़की से बाहर देखने लगे और यास्मिन की आवाज़ गले में अटक गई.... 


एक सेकंड में सब गायब हो गया। और यास्मिन को लगा कि कहीं वह जागती आँखों से फ़िर सपना देख रही। तभी ढाबे वाले ने कहा कि " अभी यहाँ से एक ट्रक आयेंगा और सभी उसी में चले जाना, ड्राइवर का पता नहीं, कब वापिस आये और हुआ भी वहीं थोड़ी देर बाद वहाँ से ट्रक गुज़रा और सब उसी में चले गए। मगर तारुश, उसके दोस्त और यास्मिन चाहकर भी ट्रक में चढ़ न सके। भीड़ बढ़ती देख, ट्रक वाला फटाफट ट्रक लेकर वहाँ से निकल गया । सब वहीं ढाबे पर बैठ गए । "अब क्या होगा"? ऋचा का सवाल था। "होना क्या है, अगले ट्रक का इंतज़ार करते हैं और क्या कर सकते हैं। यास्मिन क्या हुआ ? इतनी चुप और खोई सी क्यों हों?" तारुश ने पूछा। "सोच रही हों, वो ड्राइवर कहाँ गया? और जंगल में चीखने की आवाज़ किसकी थीं ?" यास्मिन ने वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहा। "हो सकता है, ड्राइवर भी जंगल में कहीं फँस गया हों, क्या पता अभी वापिस आ जाएँ।" तारुश ने यास्मिन के साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा। "भैया बताओं, दूसरा ट्रक कब आयेंगा ?" गौरव ने ढाबे वाले से पूछा । " शायद आधे घंटे बाद आयेंगा। काश ! हम यहाँ रुकते नहीं !!!! ऋचा ने उदास होकर कहा। और नितिशा ने भी हाँ में हाँ मिलायी ।


"मैडम सूरज ढलने से पहले ही यात्री सड़क से निकल जाते है, मगर जिन लोगों की किस्मत में यहाँ रुकना है, वो रुकेंगे ही" । ढाबे वाले ने कहा। "हम समझे नहीं" ऋचा ने पूछा। " यह जंगल कोई साधारण नहीं है" ढाबे वाले ने सामान समेटते हुए कहा । "भैया हमें खुलकर बताओ, क्या यह जंगल भूतिया है ?" यास्मिन ने बड़ी ज़ोर देकर कहा और ढाबे वाला उनके साथ बैठ गया और बताने लगा," सुना है कि कई बहुत सालों पहले एक आदमी रहता था। जो अपनी मन्त्र-सिद्धियों और जड़ी- बूटियों की मदद से लोगों को ठीक करता था, एक बार उसने एक ऐसा मंत्र खोजा जिससे कि जो लोग मर चुके हैं वो जिन्दा हो जाएँ। उसकी इसी शक्ति का पता वहाँ के राजा को चल गया। राजा ने पहले अपने युद्ध में मारे गए रिश्तेदारॉ को ज़िन्दा कराया। दरअसल एक जादूगर उस राजा का ग़ुलाम था । जादूगर ने राजा को बिना बताए उस आदमी से कई विनाशक शक्तियों के राक्षस जादूगर को ज़िंदा करवाने की बात कहीं बदले में राज खज़ाना देना चाहा तो उस आदमी ने यह काम करने से मना कर दिया। तब उसने जादू से यह जंगल खड़ा किया ताकि वह कहीं बाहर न भाग सके और इसी जंगल में कैद हो जाएँ पर, तब भी जादूगर को वह आदमी नहीं मिला और बस तभी से यह जंगल एक तिलिस्म और जादू है, पिछली बार कॉलेज के बच्चे आये थें । वे जंगल में घुसे और ज़िंदा बचकर निकल गए । कोई ज़िंदा बचता है , या फिर कोइ......... """ ढाबे वाला बोलते-बोलते रुक गया । "आप रुक क्यों गए? भैया, आप यहाँ ढाबा भी तो चला रहें है. आपको डर नहीं लगता"? यास्मिन ने पूछा । "नहीं दिन में यह जंगल कुछ नहीं कहता , मगर रात दस बजे के बाद कुछ नहीं कह सकते इसलिए कह रहा हूँ, अगले ट्रक से निकल जाओं अभी दस नहीं बजे और अब सीधा अपनी मंजिल पर ही रुकना रास्ते में कहीं मत उतरना ।" इस इलाके से जल्दी निकल जाओं उतना अच्छा है । ढाबे वाले का ढाबा बंद हो गया और वह निकल गया ।


थोड़ी देर में एक ट्रक और आ गया । और वे उसमे चढ़ गए । "तुम्हें क्या लगता है, कहानी थी या वो सच"? ऋचा ने सबसे पूछा । "कुछ नहीं कह सकते, हाँ पर उस राजा का क्या हुआ?" नितिशा ने पूछा । हमें क्या पता, उस ढाबे वाले ने बताया नहीं", तारुश ने जवाब दिया । ट्रक वाले ने उन्हें एक मोड़ पर रोक दिया और सब वहीं उतर गए । अब वे जंगल से लगी सड़क पर थें और सब यही सोच रहे थे कि उनकी मंजिल दूर नहीं है । तभी सामने से दो लोग घोड़े पर आ रहे थें । उन लोगों को देखते ही डर के मारे यास्मिन ने तारुश का हाथ पकड़ लिया । तुम तो जल्दी डर जाती हों । तारुश का इतना कहना था कि पता नहीं कहा से एक शेर गुर्राता हुआ उनकी तरफ़ दौड़ता आया वो सब चिल्लाकर भागने लगे !! बचाओ ! बचाओ !


डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

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जब सब भागने लगे तो कोई रास्ता न देखकर जंगल में ही घुस गए और बेतहाशा भागते रहें उनका सामान भी वहीं रास्ते में छूट गया। तारुश ने यास्मिन का हाथ पकड़ रखा था, वो दोनों ही सबसे पीछे थें। जब भागते- भगते थक गए । तभी पीछे मुड़कर देखने पर उन्हें कोई नहीं दिखा। सबको थोड़ी राहत आई, थोड़ी देर वही पेड़ के नीचे बैठ गए । "यार ! अब क्या करें? यह शेर कहाँ से आ गया था, यह तो हमारी जान ही ले लेता।" पुनीत ने थके हुए स्वर में कहा । "क्या कर सकते हैं? इस जंगल से निकलने का कोई रास्ता होगा या हो सकता, हम भी उस आदमी की तरह यहीं फँस कर न रह जाये। क्या ज़रूस्त थी, इतनी दूर घूमने का प्लान बनाने की । अब क्या होगा?" नितिशा यह कहकर वहीं बैठ गई। अगर हम सब साथ रहेंगे तो ज़रूर यहाँ से निकल जायेंगे । ऋचा ने उसे ढाँढस बंधाते हुए कहा।


यास्मिन सोच रही थीं कि 'उसे जल्द से जल्द अपने गॉंव पहुँचकर वापिस भी जाना है, पता नहीं दादाजी के लिए मुझे यहाँ भेजना इतना ज़रूरी क्यों था?' तभी यास्मिन की नज़र दूर पेड़ पर बैठे रंगीन जुगनू पर पड़ी, जो ऐसे चमक रहा था कि सब जगह रोशनी ही रोशनी हो रही थीं, जैसे ही उस जुगनू के पास पहुँची उसने अपना आकार बदला और अंधनंगे से आदमी में बदल गया । डरकर यास्मिन थोड़ा पीछे हुई। तभी वह बोल पड़ा, "घबराओ नहीं, मेरा नाम रोस्टन है, मैं कुछ नहीं कहूँगा, तुम यहाँ कैसे ?" मैं और मेरे फ्रेंड्स शेर के डर से इस जंगल में घुस आये । अब यहाँ से कैसे निकलेंगे? तभी बाकी सभी दोस्त यास्मिन के पास पहुँच गए। "पता नहीं, कैसे निकलोगे? पर हाँ, कभी -कभी लोग यहाँ से निकल भी जाते हैं। मैं ज्यादा मदद नहीं कर सकता, मेरा काम बस रोशनी करना है । ताकि तुम कुछ देख सको पर अपनी फ्रेंड बटरफ्लाई को बुलाता हूँ वो तुम्हें किसी न किसी रास्ते पर पहुँचा देंगी। 


तभी जुगनू ने ज़ोर की आवाज़ की और बड़ी आकार वाली बटरफ्लाई वहाँ आ गई । "रोस्टन मुझे यहाँ क्यों बुलाया? "जल्दी बताओं, आज जंगल में पार्टी है तुम भी आओंगे न ?" हाँ, ज़रूर वैसे भी वहाँ खूबसूरत कलियाँ आकर डांस करेंगी उनका डांस कौन मिस करेंगा" रोस्टन ने आह! भरते हुए कहा। "अच्छा, इनसे मिलो यह जंगल में भटक गए हैं । इन्हें रास्ता बता दो, ताकि बाहर निकल जाये । बटरफ्लाई ने सबको देखा और कहा, "मैं सिर्फ इस जंगल के दाँयी छोर पर तुम्हें छोड़ दूँगी । वहाँ से ऑलिव नदी बहती है, क्योंकि अगर जादूगर के सैनिक राक्षसों ने देख लिया तो वो मुझे ड्रैगन बना देगा। "ठीक है, तुम हमारी इतनी मदद कर दो, यहीं काफ़ी हैं" यास्मिन ने ज़वाब दिया।


सब के सब उसके पीछे चल पड़े । "क्या हम कोई दूसरी दुनिया में है?" ऋचा ने पूछा । तुम लोग एक राक्षस जादूगर की जादू की दुनिया में हों जो बहुत खतरनाक और डरावनी है । मगर तुम बच भी सकते हों जैसे वो बच्चे बच गए थें, उन्हें बरगद बाबा ने बचा लिया था । मगर जैसे ही उस राक्षस को पता चला उसने बरगद बाबा को ज़ंज़ीरो से कैद कर दिया । " बटरफ्लाई ने उदास होकर कहा । "क्या वो कहानी सच्ची है कि कोई राजा था और जादूगर ने उस आदमी जिसके पास शक्ति थीं। उसके लिए यह सब किया?" यास्मिन ने जानने के लिए पूछा। "पता नहीं, शायद सच्ची हों, तुम यहाँ इतना अंदर क्यों आ गए?" बटरफ्लाई का सवाल था । "एक शेर हमारे पीछे दौड़ा था, और हम यहाँ फँस गए । क्या हम तुम्हारी पार्टी में आ सकते है ? "तारुश ने पूछा और सब के सब उसे घूरकर देखने लगें। बटरफ्लाई हँसकर बोली, "देख लो, अगर ड्रैगन या किसी सैनिक ने देख लिया तो तुम्हारी खैर नहीं । फिर यही फँसे रहना । लो ऑलिव नदी आ गई, अब में चलती हूँ।" यह कहकर बटरफ्लाई उन सबको छोड़ वहाँ से चली गई ।


नितिशा को प्यास लगी थीं, जैसे ही उसने पानी पीने की कोशिश की तो नदी सूख गई और बात करने लग गई । "तुम लोग मेरा पानी नहीं पी पाओंगे, इसलिए कोशिश मत करो ।" नदी ने कहा । तभी तारुश ने पूछा, "कौन हों तुम? " नदी बहने लगी और एक सुन्दर चेहरा नदी पर बन गया । "मेरा नाम ऑलिव है ।" "तुम सब कौन हों " ऑलिव ने पूछा । "हम सब यहाँ गुम हों गए हैं, तुम भी यहाँ गुम हो गयी थीं और फ़िर ऐसे बना दी गयी"? ऋचा ने पूछा। "नहीं, मैं राजा मेगालिथ की बेटी ऑलिव हूँ, उस राक्षस जादूगर ने मुझे नदी बना दिया है। ऐसी नदी जिसका पानी कोई पी नहीं सकता।" ऑलिव ने उत्तर दिया । 'राजा की बेटी ऑलिव' सब एक साथ बोल पड़े। तभी किसी डरावनी राक्षसी की आवाज़ और सब डरकर वहीं किसी बड़ी सी झाड़ी के पास छिप गए और ऑलिव फिर बहने लगी।!!!!!!


डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच 

4


"ऑलिव मुझे यहाँ से लोगों की बोलने की आवाज़ सुनाई दे रही थीं । कोई है, जो तुम्हारे पास था ?" राक्षसी ने पूछा। नहीं, तुम्हारे कान बज रहे होंगे, यहाँ कोई नहीं है। ऑलिव का ज़वाब था । राक्षसी सचमुच बेहद डरावनी लम्बे दांत और लम्बी पूँछ वाली थीं । उसने मुँह से एक फुँकार लगाई और कहा कि मेरे कान यूँ नहीं बज रहे यहाँ जो मेहमान आया है उसका पता मुझे चल ही जाएगा ।" इतना कहकर राक्षसी गायब हो गई और सभी बाहर आ ऑलिव से बातें करने लगे । "तुम उसी राजा की बेटी हों न जिसके पास वो जादूगर था?" यास्मिन का सवाल था । "हाँ, मेरे पिताजी से बहुत बड़ी गलती हों गयी थीं, जो उन्होंने अपने भाई के मरे हुए परिवार को जीवित करवाया । इस बात का पता उस जादूगर को चल गया और उसने बड़ी चालाकी से हमें धोखा देते हुए हमें अपने जादू में कैद कर दिया और ख़ुद राजगद्दी पर बैठ गया । वह कोई मामूली जादूगर नहीं है । अब राक्षस जादूगर बन चुका है ।" ऑलिव की आवाज़ में ख़ौफ़ था । "तुम्हारे परिवार के बाकी लोग कहाँ' है ?" ऋचा ने पूछा । यहाँ जंगल में जो बरगद बाबा है, वह मेरे पिता है । मेरी बहन और माँ को उस जादूगर ने अपनी कैद में रखा हुआ हैं और मेरा मंगेतर फिलिप ड्रैगन बन जादूगर का गुलाम बन चुका हैं । ऑलिव की आँखों में दर्द उतर आया । "उस आदमी का क्या हुआ जिसे जादूगर ढूँढ रहा था ? " गौरव ने पूछा ।


 "पता नहीं क्या हुआ ? लेकिन बाबा कहते थे, "शायद वह मर चुका है, वह यहाँ से बाहर न निकल सका और उसने यही इसी जंगल में अपनी जान

 दे दी ।" क्या !!! "सबके मुँह खुले के खुले रह गए और ऑलिव पूरब की ओर से रास्ता बता फिर शांत होकर बहने लगी । यास्मिन सोच रही थीं कि वक़्त गुज़रता जा रहा है । उसे यहाँ से अपने गॉंव टिम्बरली भी पहुँचना है जो ज़्यादा दूर नहीं रह गया था । वो लोग चले जा रहे थें बड़ा संभल-संभल कर कभी लगता कोई उनका पीछा कर रहा है या पेड़ों पर बैठे विचित्र पक्षी भी किसी अनहोनी का संकेत दे रहे थें, "किसने सोचा था कि टिम्बरली के इतना पास होकर भी हम सब यहाँ फँस जायेंगे । " ऋचा के मुँह से अचानक निकल गया और सब उसे देखने लगे। "क्या तुम लोग टिम्बरली जा रहे थे ?" मगर तुम लोग घूमने आये थें, उस गॉव में तुम्हारा क्या काम ?" यास्मिन ने हैरानी से पूछा । "हाँ, टिम्बरली में मेरे किसी रिश्तेदार का काफी बड़ा घर था, जिसे उसने अब फार्महाउस बना दिया है । बस वहीं रुकने का इरादा था। पर तुम क्यों इतना हैरान हो गई ? क्या तुम भी ?" तारुश ने सवाल किया। "वहाँ मेरे दादाजी का घर है । उन्होंने मुझे वहाँ से अपना सामान लाने को कहा था और मुझे जल्दी वापिस पहुँचना है। वो बड़े बीमार है और उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए यहाँ इतनी दूर आई हूँ , मगर देखो न क्या हो गया ? कहकर यास्मिन रोने लगी। तारुश ने उसे समझाया कि वह अपने दादाजी की आखिरी इच्छा को जरूर पूरा करेंगी। 


"मुझे बहुत भूख लगी है दोस्तों "गौरव ने देखा की सामने वाले पेड़ पर फल लगे हुए हैं । वह दौड़ा और जल्दी से फल तोड़कर खाने बैठ गया । नितिशा ने मना किया मगर उसने कहा, "एक फल से क्या होता है? कहकर गौरव ने फल खा लिया कुछ देर वह सही रहा । मगर जब सब आगे बढ़ रहे थें, तभी पीछे मुड़कर देखने पर गौरव दिखाई नहीं दिया। सब डर गए और जोर-ज़ोर से 'गौरव' 'गौरव' आवाज़ देने लगे । नितिशा ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी। सभी ने उसको समझाया। यास्मिन के मना करने के बाद भी पुनीत और समीर गौरव को ढूँढ़ने चले गए और अपने पीछे एक ड्रैगन को आता देख दौड़े और सभी के पास पहुँच, उन्हें भी अपने साथ लेकर एक गुफा में घुस गए। गुफा के अंदर सिर्फ अँधेरा था और एक हलकी सी रोशनी जिस तरफ से आ रही थीं उसी तरफ़ चले गए । वहाँ जाकर देखा तो गुफ़ा में भी एक जंगल था और यास्मिन को वहीं डरवाने चेहरे दिखाई दिए जो उसने अपने सपने में देखे थें ।


"अरे! ये कोई सपना नहीं, यह सचमुच डरावनी हक़ीक़त है। "यास्मिन ने मन ही मन सोचा। ये लोग यहाँ पर किनका पहरा दे रहे हैं ?" तारुष बोला । तभी सब वहीं पेड़ और झाडियों के पीछे छिपकर उनकी बातें सुनने लगे।


डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

5


सबने उनकी बातें ध्यान से सुननी शरू कर दी। "हम जिस लड़की को डरा कर आये थें न, वह इस जंगल में फँस गई हैं।" "एक बार हमारे सरताज़ लनबा को वो शक्ति मिल जाएँ फिर वो पूरी दुनिया के शहंशाह बन जायेंगे ।"पहले ने दूसरे को कहा। अब हमारा सोने का वक़्त हैं । यह कहकर सुस्ताने चले गए। "यह किस लड़की की बात कर रहें थें ?" ऋचा ने पूछा। " मुझे क्या पता?" तारुश ने ज़वाब दिया । यास्मिन को महसूस हुआ कि शायद ये मेरी बात कर रहें हैं, पर यह मेरे पीछे क्यों पड़े हैं? यास्मिन यह सब सोच रही थीं कि तारुश के कहने पर सब उस पिंजरे के पास आ गए जिसकी वो पहरेदारी कर रहें थें। वहाँ देखा, एक बूढ़ी औरत एक बड़े से विशाल पक्षी को हाथ में पकड़े आँसू बहा रहीं हैं ।


"आप लोग कौन हैं ?" ऋचा ने पूछा । पहले वह औरत उन्हें देखती रही। फिर हिम्मत कर बोली। "लगता है ,तुम भी अपनी जान गवाने आये हों । मैं राजा मेगालिथ की पत्नी मारगिस हूँ और यह पक्षी बनी मेरी बेटी ओलिफर है।" मेरे पति को यह जादूगर गुलाम के रूप में किसी जन्नत के फ़रिश्ते ने दिया था । पर क्या पता था, यह हमारी ऐसी हालत कर देंगा।" हम आपकी बेटी ऑलिव से मिल चुके हैं । आप बता सकती है कि ये लोग किस शक्ति की बात कर रहे थें।" यास्मिन ने बड़ी उत्सुकता से पूछा । शायद अब भी जादूगर उस शक्ति की तलाश में है, जो मरे हुए को ज़िंदा करती हैं। अगर वो इस राक्षस के हाथ लग गयी तो सोचों कितनी तबाही होगी ।" मारगिस की आवाज़ में ख़ौफ़ था । "क्या आप हमें यहाँ से निकलने का रास्ता बता सकती हैं? " यास्मिन ने फिर पूछा। पीछे के रास्ते से तुम इस गुफ़ा से निकल सकते हों । वह जादूगर महीने में एक बार इसी रास्ते से आता हैं।" "आप घबराएं नहीं। ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक हों जाएगा। हम चलते हैं ।" यह कहकर सब पीछे वाले रास्ते की और बढ़ गए । 



बड़ी सावधानी से बढ़ते हुए आगे जा रहे थें , तभी उन्होंने देखा कि छोटे -छोटे कद के राक्षस जैसे व्यक्ति उस रास्ते पर घूम रहे हैं । अचानक समीर के मुँह से खाँसने की आवाज़ निकल गयी । जैसे ही उन राक्षसों का ध्यान उन लोगों की तरफ गया। वह वहीं पेड़ की डालियो में छुप गए । "यार ! तारुश मुझे टॉयलेट आ रहा है, क्या करू ?" समीर ने डरकर कहा । "क्या !! पागल है क्या , रोककर बैठ अगर उन लोगों को पता चला गया तो हमें टॉयलेट करने लायक भी नहीं छोड़ेंगे । " तारुश ने कहा । तभी एक नाटे कद के राक्षस ने उन दोनों को पकड़ लिया और सबकी जान निकलने जैसी हो गई । चलो, इन्हें लनबा के पास पकड़कर ले चलते है । नहीं यार, यही बड़ी वाली कढ़ाई में तलकर खा लेंगे। वैसे भी कल भी एक आदमी को तलकर खाया था। तलते वक़्त वह कैसे चीखा था, पर वह मोटा था उसके पास मॉस ज्यादा था। ये पतले है। इनके पास हड्डी होगी । सबको समझते देर न लगी कि वो ड्राइवर की बात कर रहें हैं। "इसका मतलब ड्राइवर इनके पेट में है। अब ये दोनों भी इनका भोजन बनेंगे । छुपी हुई ऋचा ने काँपते हुए कहा। "पता नहीं इन्होने गौरव के साथ क्या किया होगा"? नितिशा उदास हो गयी । 


तभी समीर की पेंट गीली हो गयी और उन सबको बदबू आयी कि वे चीख पड़े। मौका देखकर सब भाग खड़े हुए । उनको भागता देख राक्षस के मुँह से हुंकार निकली जो जहर जैसी थीं। हुँकार उनके पीछे पड़ गई । उन्हें पता ही नहीं चला कि भागते-भागते वे एक फूलों जैसी कालीन पर पहुँच गए हैं । एकदम से किसी ने कालीन खींच ली और वे झटके से एक ऐसी जगह पर गिरे, जहाँ रंग बिरंगी रोशनी थीं और हल्का सा संगीत बज रहा था। थोड़ा चले तो कलियों का डांस चल रहा था । सभी पक्षी और तरह -तरह के जानवर कुछ पी रहे थें । तभी उन्हें बटरफ्लाई दिखाई दीं । रोस्टर दिखाई दिया। उन लोंगों ने भी उनको देख लिया और उनके पास पहुँच गए । "तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हों ।' रोस्टर ने पूछा। हम ड्रैगन से बचे तो एक गुफ़ा में घुस गए। वहाँ हमारे पीछे वो नाटे से राक्षस लग गए । और अब पता नहीं, हमें किसने खींचा और हम यहाँ गिर गए। 


"मैंने खींचा"। सामने देखा तो बड़े -बड़े भूरे बालों वाली और लम्बे कद वाली लड़की खड़ी थीं। हाथ में उसके एक लम्बा डंडा था, जो फूलों से ढका हुआ था । "तुम कौन हों ?" यास्मिन ने सवाल किया । "मैं एक जादूगरनी हूँ। मेरा नाम नेयसी हैं ।' मैं अपनी मर्ज़ी से इस जंगल में आ जा सकती हूँ।" "मतलब ? "ऋचा अब भी नहीं समझी । "मेरे पिताजी लनबा के दोस्त हैं । और ये सभी मेरे दोस्त हैं। तभी आज मैं इस पार्टी में इनके बुलाने पर आ गई ।" उसने मुस्कुराकर कहा । "देखा, बटरफ्लाई हम तुम्हारी पार्टी में पहुँच गए ।" तारुश ने कहा तो वह हँसते हुए बोली पार्टी ख़त्म होने वाली हैं, बस कुछ फल बचे है तुम उन्हें खा सकते हों । "नहीं यार ! मेरे दोस्त गौरव ने भी कुछ खाया था, पता नहीं कहा गायब हो गया।" तारुश ने उदास नितिशा की तरफ देखकर कहा । 


"क्या खाया था ?" रुको मैं देखकर पता लगाती हूँ कि अब वो कहाँ होंगा? सब सुनकर बहुत खुश हो गए। तभी उसने डंडा चार बार घुमाया और सबको एक शीशा नज़र आने लगा। सब उस शीशे में जो हो रहा था उसे देखते रह गए। आख़िर गौरव के साथ हुआ क्या था? "क्या यह गौरव है "?नितिशा ने पूछा। "हाँ यही हैं, " नेयसी ने ज़वाब दिया । 



डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

6


सब उस शीशे में देखकर हैरान हो रहे थें, गौरव एक पेड़ पर बैठा हुआ था और अब उल्लू बन चुका था । जो फल उसने खाया था, वह फल सिर्फ उल्लू खाते थें। हाय ! मेरा गौरव क्या वो कभी ठीक हो सकेगा।" नितिशा ने मायूस होकर पूछा तो नेयसी के पास इसका कोई ज़वाब नहीं था । "नाटे राक्षस किस लड़की की बात कर रहे थें ? क्या हम जानबूझकर इस जंगल में फँसाया गया हैं?" तारुश के सवाल बढ़ते जा रहे थें और सब ख़ामोशी से सुन रहे थें।  तभी नेयसी ने डंडा फिर घुमाया और मुँह में कुछ बोला, तभी सबको यास्मिन का चेहरा शीशे में नज़र आने लगा। "इसका मतलब क्या है ?" कोई समझ नहीं पाया खुद यास्मिन भी स्वयं को शीशे में देखकर हैरान हो रहीं थीं । "यह क्या है ?" ऋचा ने पूछा। "यहीं वो लड़की है, जिसकी वो लोग बात कर रहे थें, और मेरा जादू कभी गलत नहीं हो सकता । " सब यास्मिन को घूरकर देख रहे थें। मानो एक बिजली सी उनके ऊपर गयी हों। "यास्मिन तभी तुम हमारे साथ हो ली ? क्या तुम भी कोई शैतान या भूत का हिस्सा हों।" ऋचा ने चिल्लाकर यास्मिन से पूछा। "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैं तो खुद इस जंगल से बाहर निकलना चाहती हूँ। यास्मिन की बातों पर किसी ने यकीन नहीं किया। तब तारुश ने बड़े आराम से पूछा, " यास्मिन तुम हमें सच-सच पूरी कहानी सुनाओ।"


"मैं सच कह रही हूँ, मैं अपने दादाजी के गॉंव जा रही हूँ । वह बहुत बीमार है, मुझे उनका सामान लाकर उन्हें देना है। यही उनकी आख़िरी इच्छा है। बोलते -बोलते यास्मिन की आँखों में आँसू आ गए । " क्या है वह सामान ?" नितिशा ने पूछा। "एक संदूक है और कुछ नहीं।" मगर किसी को उसकी बातों पर यकीन न करता देख, "वह बोली ठीक है, अगर तुम्हें लगता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ और मुझे तुम्हारे साथ नहीं होना चाहिए । मैं जा रही हूँ । यह कहकर वह चली गयी उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा भी, मगर कोई उसे रोकना नहीं चाह रहा था । उस जगह से बचते-बचाते वह चलती गयी और उसे जो रास्ता दिखा, उसी पर चलती रहीं । सामने एक दरवाज़ा था, उसमे से निकल एक बार फिर वहीं जंगल के भयानक रास्ते पर चलती जा रही थीं ।


तभी उसके सामने विकराल रूप धारण किए चमगादड़ आ गई और वह ज़ोर से चिल्लाई। "अरे ! मेरी तरफ़ आ जाओ लड़की, " यह आवाज़ उसके कानो में पड़ी और वो ज़ंज़ीर को पकड़ पेड़ पर चढ़ वहीं छुप गई । जब उसे लगा कि अब कोई शोर नहीं है तो वह थोड़ा संभलकर पेड़ से बोली, आपकी ही आवाज़ थीं ? बड़ी-बड़ी आँखें और मुँह उस पेड़ पर निकल आये। "हाँ, मैंने ही आवाज़ लगाई थीं ।" "कौन है आप ? " यास्मिन ने फ़िर पूछा। मुझे बरगद बाबा कहते हैं, इससे पहले वह पेड़ कुछ कहता, "आप ही वो राजा हैं ?" तुम्हें तो सारी कहानी मालूम है"" ..... " मेरा नाम यास्मिन हैं ।" " अकेले कैसे इस जंगल में ?" पेड़ ने पूछा। जादूगर के राक्षस मेरे पीछे पड़े हुए हैं । पहले कुछ दोस्त थें मेरे साथ। मगर...... अब नहीं है और मैं अकेले इस जंगल से निकलने की कोशिश कर रहीं हूँ । यास्मिन की आवाज़ में निराशा थीं ।



"तुम्हारे पीछे क्यों पड़ गए ? तुम्हारा उनसे क्या लेना -देना है ? वैसे सबका कसूरवार मैं हूँ , आज मेरी पत्नी, बेटी, दामाद कई सालों से उस राक्षस जादूगर की कैद में हैं । मुझे एक जादूगर मिला था , क्या पता था वो हमें ही अपने गुलाम बना लेगा ।" मुझे लॉर्डो ने मना भी किया था कि मैं अपने मरे रिश्तेदार को ज़िंदा न करवाओ। मगर मैं नहीं माना और नतीजा हम सब भुगत रहें हैं। पहले उसने मुझे पेड़ बनाया । फ़िर उन बच्चों की मदद करने पर ज़ंजीरो से बांध दिया । कितना तड़पता हूँ मैं" राजा की आवाज़ में' दर्द था । "मैं आपका दुःख समझ सकती हूँ , मगर मुझे अब इस जंगल से बाहर निकलने का कोई रास्ता बताए, प्लीज़ मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगी।" यास्मिन ने निवेदन किया।


"यहाँ से निकलना है तो जहाँ मैं हूँ वहाँ से पश्चिम दिशा की तरफ़ बढ़ती जाना और ध्यान रखना। बीच में बिलकुल नही रुकना न किसी की बात सुनना। रास्ते में कई शक्तियाँ और जादूगरनियाँ भी मिलेंगी। मगर रुकना मत जैसे ही कोई टीला सा देखो वहाँ पहुंच जाना । तभी इस जगह से बचकर निकल पाऊँगी ।' राजा ने बताया और धन्यवाद कह यास्मिन पश्चिम दिशा की तरफ़ बढ़ गई। रास्ते में उसने देखा कि एक अंग्रेज़ जोड़ा उसे बुला रहें हैं । Yasmin Come Here!! ! ये तो वहीं अंग्रेज़ कपल है जो रशिया से आये थें और वह इनकी गाइड बनी थीं ? यह यहाँ क्या कर रहें हैं ? यास्मिन हैरान थीं।



डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

7


तभी उसे लगा यह कोई भ्रम है या कोई माया जाल होगा। उसे पेड़ की बात याद आई और वो वह वहाँ नहीं रुकी। तभी उन रशियन कपल ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया । उसके कदम और तेज़ हो गए और फ़िर वो भागने लगी । तभी उसके सामने एक बड़ा पक्षी आ गया, वह संभल न सकी और धड़ाम से गिर गई । "तुम ठीक हों ?" "कौन" यास्मिन ने पूछा । "मैं गौरव" पक्षी ने उत्तर दिया। "गौरव तुम यहाँ? मुझे अफ़सोस है कि तुम उल्लू बन गए, यास्मिन ने उसे देखते हुए कहा। 'मैंने भी तुम लोगों की बात नहीं मानी और मेरा यह हाल हुआ। बाकि सब कहाँ हैं ? " गौरव ने पूछा । पूछो! मत बड़ी लम्बी कहानी हैं।" ख़ैर, मुझे अब चलना होगा, मैं रुक नहीं सकती। मेरा कहीं पहुँचना ज़रूरी हैं।" तभी एक ज़ोर की आँधी आई और एक बवंडर सा फैल गया । दोनों गायब हो गए और जब बवंडर हटा तो वह एक महल में थीं। सब कुछ घूम रहा था। गौरव भी उसके साथ था। हैं!भगवान, मैं कहाँ आ गई? उस पेड़ ने मुझे मना किया था । गौरव यह सब तुम्हारी वजह से हुआ हैं ।" यास्मिन उस पर चिल्लाने लगी। इतने में अधकटे सिर वाले आदमी और औरतों ने उसे घेर लिया, उसे पकड़कर ले जाने लगे। उल्लू बना गौरव वहाँ से उड़ गया। पर उसका गला भी पकड़ लिया गया । तुम हम लोगों को कहाँ लिए जा रहे हों? यास्मिन ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, मगर नाकाम रहीं । तभी एक बड़े से दरबार में उन्हें फ़ेंक दिया गया । और यास्मिन ने सिर उठाकर देखा तो पूरा दरबार नाटे कद के राक्षसों और रंग बिरंगे बालों वाली औरतों से भरा हुआ था । उनकी शक्लो और चेहरे से लग रहा था कि वे सभी जादूगर -जादूगरनियाँ हैं । तभी एक आवाज़ सुनकर यास्मिन चौक गई ।


"आ गई, तुम यास्मिन। !!! यह कहता हुआ एक आदमी जिसका आधा चेहरा राक्षस और आधा चेहरा आदमी जैसा था, कपड़े काले थें। सिर पर कई जानवरों के सींग थें और चार हाथ थें । उसे डर लगा पर फ़िर भी यास्मिन थोड़ा हिम्मत करके बोली, "मुझे यहाँ क्यों लाये हों "? "तुम बड़ी बहादुर हों। जो मुझसे कुछ पूछने की हिम्मत कर पा रही हों।" " तुम हों कौन?"यास्मिन ने गुस्से से पूछा । "मैं इस जंगल का राजा और कुछ समय बाद पूरी पृथ्वी का राजा बन जाऊँगा।" मैं लनबा जादूगर लनबा, राक्षस लनबा हा ! हा!! हा!! हां हां यह कहकर वो हँसने लगा और सभी दरबारी भी मुस्कुराने लगे। "भूल जाओं, तुम सिर्फ इस जंगल पर ही कब्ज़ा कर सकते हों। इतने खूबसूरत पेड़ -पौधों का तुमने सर्वनाश कर रखा हैं । तुमने उस राजा और उसके परिवार को भी नहीं छोड़ा जो तुम्हारे अन्नदाता थें ।" "अपना मुँह बंद करो लड़की, वरना मेरे ड्रैगन तुम्हे एक झटके में खा जायेंगे। फिर भूत बन भटकती रहूँगी इस जंगल में समझी ।" जैसे उन अंग्रेज़ो को खा गए थें, आये थे, मेरे राज्य की फोटो खींच पूरी दुनिया को दिखाने। मगर देखो! क्या हुआ? आज यहीं के होकर रह गए ।" लनबा एक बार फ़िर हँसा। "इसका मतलब तुमने उन्हें मारकर उनकी आत्मा को अपना गुलाम बना दिया । यस्मिन की आवाज़ में गुस्सा था । "हाँ, अब बातों में समय बर्बाद न करो । मेरा काम करो, जहाँ तुम जा रही हों वहाँ पहुँचो और जो सामान तुम लेकर जाऊँगी, उसमे एक डायरी भी होगी। तुम उसे लाकर मुझे दो । लनबा ने यास्मिन को धमकाया।


"कौन सी डायरी ? मैं कोई डायरी नहीं लेने जा रही और तुम एक मामूली डायरी का क्या करोंगे?" यास्मिन के सवाल थें । सारा खेल उस डायरी का ही हैं, समझी । यह सारी मौतें इतना ख़ौफ़ उस डायरी' की वजह से है वह कोई मामूली डायरी नहीं । लॉर्डो की डायरी हैं । जिसमे उसने अपनी सभी मन्त्र जिनमे शक्तियाँ हैं, उनके बारे में लिखा था। " खुद तो मर गया मगर वो डायरी तुम्हारे दादाजी के पास छुपा गया। मुझे जादूगर सकनबा ने बता दिया है कि तुम ही वो डायरी ला सकती हों। अब जाओ मेरे राक्षस और यह ड्रैगन भी तुम्हारे साथ जाएगा ।" "तुम्हें सब पता चल चुका है , फिर ख़ुद क्यों नहीं वो डायरी ले आते"? बेवकूफ़ लड़की, इंसान ही डायरी तक पहुँच पाएंगा । तभी तुम्हारे दादा को लार्डो ने इस काम के लिए चुना होगा। जाओ, हमारा समय बर्बाद मत करो । वैसे भी मैं बहुत लम्बे समय से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ अब तो मैं दुनिया पर राज करूँगा । सारी शैतानी ताकतों को फिर से ज़िंदा कर इस धरती पर लनबा राज होगा।" मैं तुम्हारा यह काम कभी नहीं करूँगी, चाहो तो मेरी जान ले लो। यास्मिन ने निडर होकर बोला ।


"ज़रा उस दीवार पर देखो", जैसे ही यास्मिन ने दीवार पर देखा एक दृश्य चलने लगा उसके दादा लनबा की कैद में हैं और उसकी माँ, स्कूल जाता छोटा भाई भी इर्द -गिर्द राक्षसों से घिरे हुए हैं । सब लम्बी-लम्बी तलवारें लेकर उन्हें मारने को तैयार खड़े हैं । यास्मिन से कुछ कहते न बना और वो चुपचाप लनबा के कहने पर सब जादूगर राक्षसों के साथ उसके राजमहल से निकल पड़ी ।




डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

8


रास्ते में उसने ड्रैगन को देखा जो बिलकुल उसके साथ कदम से कदम से मिलाकर चल रहा था तभी उसे महसूस हुआ कि उसकी चाल किसी राजसी आदमी जैसी हैं । तभी उसे याद आया कि हो सकता है यह वहीं फिलिप हों इसका जिक्र ऑलिव ने किया था, उसका मंगेतर । उसने परखने के लिए बोलना शुरू किया, "आज मैं ऐसे-ऐसे लोगों से मिली कि मुझे लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रही हूँ। बटरफ्लाई, रोस्टन, बरगद राजा और ऑलिव से भी मिली कितनी सुन्दर और प्यारी है। जिसे इस दुष्टों ने ज़हरली नदी बना रखा है। उसने मुझे बताया था, जब वो राजकुमारी थीं तो उसे कोई पागलों की तरह प्यार करता था । और आज भी उसे याद करके आँसू बहा रही हैं। दुःख की बात है कि उस बेख़बर को पता भी नहीं, उसकी मोहब्बत का क्या हाल हैं ।" तुम चुपचाप नहीं चल सकती हमारा सिर खा रही हों , तुम इंसान बोलते बहुत हों। एक राक्षस ने चिढ़कर कहा । तभी उसे महसूस हुआ कि ड्रैगन के चेहरे के हाव-भाव बदलते जा रहें हैं । सख्त चेहरा थोड़ा नरम पड़ता जा रहा है । तभी उसने कहा कि वह थोड़ी देर आराम करना चाहती हैं । पहले किसी ने उसकी बात नहीं मानी। मगर जब उसने कहा कि वह बहुत थक गई हैं और भाग-भागकर चलने की शक्ति नहीं हैं । उन जादूगर राक्षसों ने उसे केवल पाँच मिनट का समय आराम करने के लिए दिया ।


यास्मिन आँखें बंदकर एक पेड़ के नीचे लेट गई । "अजीब लड़की हैं, अगर मेरा बस चलता तो इसे रात के खाने में शराब के साथ खा जाता। वैसे भी इसके होंठ कितने गुलाबी हैं ।" एक राक्षस ने कहा । नहीं, मैं इसे शादी कर लेता फिर यह भी मेरे जैसी हो जाती और कितने सुन्दर बच्चे होते हमारे। दूसरे ने यास्मिन को घूरकर देखते हुए कहा। तभी तीसरे के कहने पर सब खाने के लिए जैसे ही वहाँ से हटे । यास्मिन ने आँखें खोल ली और केवल ड्रैगन को उसकी हिफाज़त करते देख बोली, "मैं जानती हूँ कि तुम फिलिप हों और तुम्हें भी लनबा ने अपना ग़ुलाम बना रखा हैं । अगर तुम मेरी मदद करो तो शायद यह लनबा से हमारी जान छूट जाएँ।" "वह बहुत ताकतवर है, तुम उसे नहीं जानती। तुम तब तक ज़िंदा हों, जब तक वो डायरी नहीं मिलती । डायरी मिलते ही तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जान से मार देंगा ।" ड्रैगन ने ज़वाब दिया । "हाँ , मुझे पता है। ऐसा ही होगा । क्या कोई रास्ता नहीं है, उसे अपना पीछा छुड़वाने का । कोई तो रास्ता होगा सोचो और बताओ । तुम उसके साथ ही रहते हों । उसकी कोई कमज़ोरी होगी । बताओ मुझे," यास्मिन ज़िद करने लगी । 


"अगर तुम्हारा आराम हो गया हों तो अब चलो ।" तीनों राक्षसों ने आकर कहा। "हाँ, हाँ चलो मैंने कब मना किया ?" यास्मिन भी उत्सुकतावश बोली और सब के सब यास्मिन के पीछे हो लिए । वह अपने गॉंव पहुँच चुकी थीं चारों और अँधेरा था । बस, कुत्तों आवाज़ आ रही थीं। इस अँधेरे में उसे चारों  राक्षस और भी डरावने लग रहे थें। "बस यहीं कहीं होगा दादाजी का घर"। यास्मिन ने चारों तरफ़ देखते हुए कहा । यह नाटक हमारे साथ मत करो जल्दी करो, वापिस भी जाना हैं । सरताज़ हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे । एक ने जब तलवार यास्मिन की गर्दन पर रख दी तो वह थोड़ा डर गयी और बंद पड़े घर की तरफ़ इशारा करके बोली । "मैं डायरी लेकर आती हूँ , तुम यहाँ इंतज़ार करो।" यास्मिन ने आदेश देते हुए कहा । 'हम तुम्हारे साथ चलेंगे समझी ताकि तुम कहीं भाग मत जाओं"। एक राक्षस ने गुर्राते हुए कहा । 

 

"तुम्हारा दिमाग ठीक है? मेरा पूरा परिवार तुम्हारे लनबा के कब्ज़े में हैं । मुझे भी तुम तलकर खा जाओंगे । तुम ही बताओ, मैं कहा जाऊँगी ? यास्मिन ने कहा । ड्रैगन भी बोल पड़ा, "यह ठीक कह रही हैं, अगर तुम कहो तो मैं इसके साथ चला जाता हूँ । ताकि यह कोई चालाकी न करे ।" "ठीक है, तुम जाओं और इस पर नज़र रखना।" यास्मिन और ड्रैगन घर के अंदर चले गए । इतने सालों से यह घर बंद है । केवल परिंदे ही परिंदे नज़र आ रहे हैं। "मैं सिर्फ़ बचपन में ही यहाँ आयी थीं ।' यास्मिन ने पूरा घर देखकर कहा। तभी उसे कुछ आवाज़ आई और दोनों चौंकन्ने हो गए । "कौन हैं यहाँ ?" यास्मिन ने घबराकर कहा तो ड्रैगन भी इधर-उधर देखने लगा ।


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9


''तुम ! तुम! तारुश तुम यहाँ कैसे ? बाकि सब कहाँ हैं ?'' यास्मिन ने हैरान होकर पूछा । सब लोग जंगल से निकल गए। तारुश ने ज़वाब दिया । ''तुम नही गए ? तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं हैं?'' यास्मिन ने उसकी आँखों में देखकर सवाल किया । ''ज़िन्दगी प्यारी है। मगर तुम्हें इस तरह अकेले छोड़ने का मन नहीं किया।'' तारुश ने बड़े ही प्यार से ज़वाब दिया। ''चलो, डायरी ढूँढते हैं। दादाजी ने एक संदूक लाने के लिए कहा था। यास्मिन यह कहकर उसकी खोज में जुट गई। तारुश भी उसकी मदद करने लगा। और ड्रैगन बाहर खड़े लनबा के सैनिको को देखने लग गया कि कहीं वो अंदर न आ जाये। जब नीचे कुछ नहीं मिला तो यास्मिन को याद आया कि छत पर भी एक कमरा हुआ करता था, जहाँ वो बचपन में खेला करती थीं। छत के कमरे में ताला लगा देख तारुश ने उसे पत्थर से तोड़ दिया । कमरे में घास- फूस और रस्सियाँ और न जाने कितनी किताबें रखी हुई थीं। सारा सामान हटाने पर काले रंग का संदूक दोनों को नज़र आया।


दोनों ने देखा कि संदूक पर पीतल का ताला लगा हुआ हैं, ''हों न हों डायरी इसी संदूक में होग ।'' यास्मिन ने कहा। ''तुम इसी डायरी की वजह से मुश्किल में हों''। तारुश ने संदूक देखते हुए कहा । हाँ, तुम सही कह रहे हों पर अब तो उस लनबा ने मेरे परिवार को भी पकड़ लिया हैं और डायरी मिलते ही वह हम सबको मार देगा। इसलिए यह डायरी देकर भी कुछ फ़ायदा नहीं होने वाला है। संदूक की चाबी भी नहीं हैं?'' यास्मिन ने परेशान होकर कहा। हम नेयसी की मदद ले सकते हैं। आख़िर, उसने मुझे तुम तक पहुँचाया हैं। यह कहकर तारुश ने आँखें बंद की ।और मन ही मन कुछ कहा और नेयसी आ गई । ''एक बुरी खबर हैं, तुम्हारे दोस्तों को क़ैद कर लिया गया हैं । नेयसी ने दुखी स्वर में कहा । ''क्या !!! मगर कैसे? तुम तो उन्हें जंगल के बाहर छोड़ने गई थीं।' तारुश ने घबराकर पूछा।''हाँ छोड़ दिया था, मगर सीप्रा जादूगरनी वहाँ आ गई और उन्हें अपने साथ ले गई। वो लनबा के दरबार की हैं, उसके पास मुझसे ज्यादा शक्तियाँ हैं। और मैं उसका मुक़ाबला नहीं कर सकती। दूसरा, मेरे पिताजी को पता चल गया कि मैं तुम्हारी मदद कर रही हूँ तो मेरी शादी उस लनबा से करवा देंगे।'' और उसके साथ मैं नहीं रह सकती। तभी चाहकर भी तुम्हारे दोस्तों को बचा नहीं पाई। नेयसी ने अपनी बेबसी जाहिर की । ठीक है, तुम यह संदूक खोल दों , इतना तो कर सकती हों। तभी नेयसी ने अपना डंडा घुमाया और संदूक खुल गया ।


एक बड़ी और चौड़ी सी हरे रंग की डायरी थीं । जिस पर जो कुछ लिखा था । वो उनकी समझ में नहीं आया। मगर नेयसी समझ गई । इस पर लिखा हैं "" फ़िर से ज़िन्दगी दे सकती हूँ, मैं मौत को हरा सकती हूँ ''''''' !!!!! ''डायरी पर एक ताला था। अब इसकी चाबी कहाँ से आएँगी?''

यास्मिन ने पूछा । नेयसी ने कई बार कोशिश की । मगर कुछ नहीं हुआ । ''शायद कोई इस डायरी की रक्षा कर रहा हैं ?'' '' कौन रक्षा कर रहा है'? तारुश ने पूछा । और सब थोड़ा डर गए। तभी यास्मिन ने ज़ोर से बोलना शुरू किया,''कोई हैं तो वो सामने आये। प्लीज! सामने आये, हमारे पास वक़्त नहीं हैं । कहकर यास्मिन' ज़ोर- ज़ोर से रोने लगी और गुस्से में डायरी के ताले को इतनी ज़ोर से घुमाया कि एक हलकी पीले रंग की रोशनी निकली और एक आवाज़ सुनाई दीं।


''मैं हूँ लॉर्डो, तुम्हें यह डायरी क्यों चाहिए?'' आवाज़ ने पूछा। यास्मिन ने सारी आपबीती बता दी। लनबा इस मंत्रो की शक्ति से तबाही मचा देंगा। ''उस लनबा की वजह से पहले ही मैंने अपनी जान दे दी थीं । मैंने तुम्हारे परदादा को डायरी सौपी थीं । मगर अब तुम्हारा सहारा लेकर वह हर सदी के राक्षस को जीवित कर देंगा ।'' लॉर्डो की आवाज़ में चिंता झलक रही थीं। इतना सुनते ही ड्रैगन ऊपर आ गया और बोलने लगा, ''जल्दी करो लोग अंदर आ रहें हैं। लार्डो ने कहा । ''तुम यह डायरी ले जाओ। मैं तुम्हें एक मंत्र बताता हूँ, तुम उस मंत्र को लनबा को बताना । मगर ध्यान रहें, यह मन्त्र वो जीवन देने वाले मंत्र से पहले पढ़ लें । और डायरी सिर्फ़ तुम्हारे दादाजी खोल पाएंगे समझी ।' तभी शोर मचा, ''कहाँ हों तुम लोग?'' राक्षस सैनिको की आवाज़ आई और तारुश को वहीं छोड़ दोनों नीचे आ गए । ''बस डायरी ढूंढ रहे थें, लो मिल गई,अब चले ।  यास्मिन ने संभलकर कहा। और सब के सब उस घर से बाहर निकल आये और वापिस लौटने लगें।


डायरी ::::::कल्पना से परे जादू का सच

10


रास्ते में ड्रैगन ने यास्मिन को बताया कि ''शायद हमें इस लनबा से छुटकारा मिल जाएँ''। यास्मिन ने जब यह सुना तो वह खुश हो गई। मगर यह, होगा कैसे? यह सोचकर वह मायूस हो गई। तभी रास्ते में किसी को बेहोश देख, सैनिक उसे उठाने लगे। यास्मिन ने देखा कि वह कोई और नहीं बल्कि तारुश था । "तारुश, तुम! तुम! क्यों मरना चाह रहे हों? ये लोग तुम्हें भी हमारे साथ मार देंगे। कितना अच्छा मौका मिला था, निकल जाते यहाँ से । यास्मिन ने धीरे से तारुश को कहा। मेरे सभी दोस्त मुश्किल में हैं और तुम अकेले इस लनबा का मुकाबला कर रहीं हों । फिर कैसे तुम लोगों को मुश्किल में छोड़कर जा सकता हूँ।" तारुश ने इतनी मासूमियत से ज़वाब दिया कि यास्मिन कुछ नहीं कह सकी।


सब लनबा के दरबार में पहुँच गए। लनबा उस डायरी को देखकर बड़ा खुश हुआ। उसने यास्मिन के हाथों से डायरी छीन ली । और उसका ताला खोलने की कोशिश की। परन्तु लनबा से डायरी नहीं खुली बल्कि उसे एक करंट सा लगा जिसके कारण डायरी उसके हाथ से दूर जा गिरी। बार-बार यहीं होता देख लनबा को गुस्सा आ गया। वह गुस्से में बोला कि "यह क्या हैं लड़की? तुम इसे खोलो वरना तुम्हें इस आग की नदी में डाल दूँगा"। आग की नदी की तरफ़ इशारा करते हुए लनबा ने कहा। ''मैं भी नहीं खोल सकती । '' यास्मिन ने बहादुरी दिखाते हुए कहा। मगर कहीं न कहीं वह नदी देख डर गई थीं । लनबा इसे पहले कुछ कहता तभी ड्रैगन बोल पड़ा । सरताज़ यह डायरी आज न खोलकर, कल खोली जाये। अब सुबह होने वाली हैं, जगमगाती रात में खुलेगी, इस लड़की के दादा ही खोल सकेंगे। लनबा ड्रैगन की बात मान गया और उन्हें कैद में डाल कल रात का तय कर अपनी गद्दी से गायब हो गया। 


यास्मिन और तारुश को कैदखाने में डाल दिया गया। "उम्मीद करता हूँ कि सब ज़िंदा होंगे"। तारुश ने यास्मिन को देखते हुए कहा। "गौरव भी यही कैद में हैं''। यास्मिन ने तारुश को बताया। क्या! "उल्लू बनकर भी यही कैद हो गया । उल्लू कहीं का।" "अब हमारे पास यहीं रात हैं। ड्रैगन ने बताया है कि जादूगर के सिर के सींग काट दिए जाये तो वह पागल सा हो जायेंगा। उसकी शक्ति जाती रहेगी" यास्मिन ने उत्सुकता वश बताया । "वो कोई गाय , बैल नहीं है जिसके सींग आसानी से काट दिए जायेंगे। उसके सिर के सींग काटेगा कौन?" तारुश ने पूछा। ''हमें नेयसी की मदद लेनी होंगी तुम बुलाओ उसे।'' यास्मिन ने ज़वाब दिया।


तारुश ने नेयसी को याद किया और नेयसी बौने से भी बौना रूप लेकर आई । "नेयसी तुम ही हमारी मदद कर सकती हों। जादूगर के पास जाओं उसके कमरे से तिलिस्म तलवार निकाल लाओं ताकि हम जादूगर के सींग काट सकें ।" "तुम मुझे मरवाना चाहते हों, मुझसे यह काम नहीं होगा।" नेयसी ने साफ़ मना किया। बस यहीं रास्ता है, उस शैतान से छुटकारा पाने का। प्लीज़, प्लीज़ कोशिश करो, तुम्हें कुछ नहीं होगा प्लीज़ एक आख़िरी बार हमारी मदद कर दो।" यास्मिन गिड़गिड़ा रही थीं । "क्या पता मेरे जीवन का यह आख़िरी काम हों, ठीक है, मैं कोशिश करुँगी नेयसी ने जब यह कहा तो तारुश और यास्मिन को थोड़ी राहत मह्सूस हुई । 


नेयसी अप्सरा सी बनकर लनबा के पास गई । डर उसे भी लग रहा था। मगर उसने लनबा का हाथ पकड़कर कहा , " लनबा मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ"। मैं बेवकूफ़ थीं जो तुम्हें नहीं समझ सकी । नेयसी लनबा के बहुत पास आ गई और लनबा उसे हुस्न के जादू में खो सा गया। उसने उसके साथ बहुत प्यार भरी बातें की और अपनी गोद में उसका सिर रखकर उसे सुलाने लगी। जैसे ही नशे में चूर जादूगर सोया, कमरे में लगी तलवार को उसकी जगह से निकाला। तभी जादूगर की आँख खुल गई और वह भड़क उठा, उसने नेयसी को कैद कर सबके साथ मरने की सज़ा सुना दी । अगले दिन चमचमाती रात को सभी मौज़ूद थें। नेयसी को कैदी बना देख, यास्मिन को यक़ीन हो गया। अब यहाँ से निकलने की सारी उम्मीद ख़त्म हों गई। डायरी उसके दादाजी ने खोली। जब जीवन शक्ति का मंत्र लनबा पढ़ने लगा तभी यास्मिन ने पुकारकर कहा, "दादाजी पहले आप वो मन्त्र तो बताये तभी डायरी में लिखा मन्त्र काम करेंगा । दादाजी हैरानी से यास्मिन को देख रहे थें । लनबा मेरे दादाजी की उम्र हो चुकी हैं। इन्हें कुछ याद नहीं रहता, तुम कहो तो मैं तुम्हें बता दो। यास्मिन ने पूछा। ठीक है, बता दो पर कोई चालाकी की तो गए तुम्हारे दादा। लनबा ने धमकी दीं। 


यास्मिन ने मन्त्र लनबा को बताया । मन्त्र का उच्चारण करते ही लनबा ज़ोर से हँसने लगा। "अब मैं सबसे ताकतवर हो गया। मुझे कोई हरा नहीं सकता। "जाओ, मेरे गुलामों, अब इन सबको मार दों ।" जैसे ही उन्होंने अपनी तलवारे निकाली, सभी एक-एक करके ज़मीन पर गिरने लगे । यास्मिन

 ने लार्डो का बताया मृत्यु-मन्त्र बताया था। इसके पहले उच्चारण से जीवन-मंत्र काम नहीं करता। यह देख लनबा गुस्से से चीखने लगा। "तुमने ज़रूर कोई हरकत की है। सब मर रहें हैं, और जिन्हें जीवित होना था, उनमे से कोई जीवित होकर नहीं आया । मैं तुम्हें खत्म कर दूँगा, तुम सबको ख़त्म कर दूँगा। कहकर उसने तलवार निकाल ली और लगा, यास्मिन को मारने। "बचाओ !!! बचाओ !!!! बचाओ!!" की आवाज़े आने लगी। सब भागने लगे, यास्मिन भागने ही लगी थीं कि लनबा उसके सामने आ गया। उसे दोनों हाथों से अपना मुँह ढक लिया। "यास्मिन मेरी बच्ची !!!!! दीदी, यास्मिन" दादाजी, भाई और तारुश की आवाज़ें यास्मिन के कानों तक पहुँच रही थीं। लनबा की तलवार यास्मिन की गर्दन तक पहुँची ही थीं कि तभी किसी ने उसके सींग काट दिए, वह तड़पने लगा । उसने पीछे मुड़कर देखा कि नेयसी के पिता होंनेबॉर थें और तलवार उनके हाथों में थीं । "तुम मेरी बेटी को मार डालते और मैं कुछ नहीं करता। ऐसा तुमने सोचा भी कैसे"? उन्होंने गुस्से में कहा । 'पिताजी , पिताजी' कहकर नेयसी उनसे लिपट गई ।


थोड़ी देर में लनबा ने दम तोड़ दिया । ऐसे लगा सारे जंगल से कोई लहर निकल रही हों। राजा का पूरा परिवार आज़ाद हो गया । सब ठीक हो गए। फिलिप ने ऑलिव को गले लगाया। गौरव फिर से इंसान बन गया । नितिशा ने उसे गले लगा लिया। उसके दादा, उसका परिवार सब सुरक्षित थें।

अब यह जंगल एक खौफनाक तिलिस्म से आज़ाद हो गया था। नेयसी और उसके पिता होंनेबॉर भी अलविदा कह लौट गए । रोस्टर, बटरफ्लाई और अन्य जीवजंतु खुश हो गए। ऋचा ने यास्मिन से माफ़ी माँगी। "हम तुम्हें हमेशा याद रखेंगे यास्मिन"। यह कहकर राजा का परिवार अदृश्य हो गया। यास्मिन ने डायरी उठा ली और सब वापिस लौटने लगे।


रास्ते में एक शक्ति ने उन्हें रोका। सबने देखा वो लार्डो था । "हेनरी तुमने और तुम्हारे परिवार ने मेरी डायरी का बहुत ख़याल रखा । अब मैं इसे अपने साथ ले जाऊंगा। "जो मन्त्र आपने मुझे बताया था, वहीं मन्त्र आप ला लनबा को बता देते तो सब पहले ही ख़त्म हो जाता। यास्मिन ने लार्डो से शिकायत की। मैंने मृत्यु-मन्त्र अपनी मौत के बाद खोजा। और लनबा कैसे मरता, यह मुझे नहीं पता था यास्मिन, मैं मानता हूँ, जब भी हम कुदरत के काम में दख़ल देते हैं तो वह कोई न कोई सज़ा ज़रूर देता हैं । ख़ैर, मैंने ईश्वर से माफ़ी माँग ली है । अब मेरी मुक्ति हों चुकी हैं। उम्मीद है तुम लोग मुझे याद करके हमेशा मुस्कुराओगे । अच्छा बच्चों खुश रहो । यह कहकर लार्डो आसमान में कहीं खो गया ।

"तारुश यह क्या है?" यास्मिन ने पूछा। लनबा का टूटा हुआ सींग, कल को हमारे बच्चे इससे खेंलेंगे।"क्या !" यास्मिन ने हैरानी से कहा। और सभी हँसने लग गए !!!!! 


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