Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anshu Shri Saxena

Drama Inspirational

4.7  

Anshu Shri Saxena

Drama Inspirational

बेड़ियाँ

बेड़ियाँ

5 mins
668


मैं बाज़ार में एक दुकान से बाहर निकल ही रही थी , कि एक लगभग चौबीस पच्चीस वर्ष के नवयुवक ने आगे बढ़ कर मेरे पाँव छू लिये। मैं बिलकुल सकपका गयी और चौंक कर बोली “ अरे...रे...क्या कर रहे हो बेटा “? तभी पीछे से आवाज़ आयी “ दीदी , आशीर्वाद दीजिये....ये मेरा बेटा राजू है “ मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई। सामने गनेसिया खड़ी मुस्कुरा रही थी। सलीक़े से पहनी साड़ी , बालों का जूड़ा और थोड़ा भारी शरीर...परन्तु चेहरे पर वही चमक और आँखों में वही भोलापन । उसे देखते ही मेरा मन उन पच्चीस वर्ष पुरानी यादों की गलियों में भटकने लगा।

यह वो समय था जब मैं ससुराल से अपने नन्हें दो माह के बेटे को लेकर वापस भोपाल आयी थी , जहाँ मेरे पति काम करते थे। एक दिन मेरे दरवाज़े पर घंटी बजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने सत्रह अठारह साल की लड़की खड़ी थी। गहरा साँवला रंग , मोटी नाक , और काले घुंघराले बाल। “ दीदी , हमको काम पर रखेंगी ? हम आपका सब काम कर देंगे “ , उसने बड़ी मासूमियत से मुझसे पूछा। मुझे भी पहली नज़र में वह अच्छी लगी , मैंने जब उसका नाम पूछा तो वह खिलखिला पड़ी “ गनेसिया “ उसकी निश्छल हँसी मेरे मन को छू गई।

अब गनेसिया मेरे घर में काम करने लगी थी। एक दिन मुझे समाचार पत्र पढ़ता देख , बोली “ दीदी क्या आप हमें पढ़ना लिखना सिखायेंगीं ? हम भी पढ़ना चाहते हैं “ मुझे उसकी बात बेहद पसन्द आयी , सो मैंने तुरन्त हामी भर दी।मैं उसी दिन बाज़ार जा कर उसके लिये कॉपी , पेंसिल व नर्सरी कक्षा की पुस्तकें ख़रीद लायी।

अब गनेसिया , सुबह मेरे घर आती , जल्दी जल्दी काम निपटाती और बस फिर कॉपी किताब लेकर बैठ जाती। मुझे भी उसे पढ़ाना बहुत अच्छा लगता। उसकी लगन और जल्दी सीखने की क्षमता से मैं बहुत प्रभावित थी। उसके साथ कब मेरा पूरा दिन बीत जाता , पता ही नहीं चलता । शाम होते होते गनेसिया वापस अपने घर चली जाती।

कुछ ही समय में अपनी अथक मेहनत से गनेसिया पढ़ना लिखना सीख गई थी । अब समाचार पत्र व पत्रिकाएँ मुझे बाद में पढ़ने को मिलतीं क्योंकि गनेसिया उन्हें पढ़ कर ही मुझे पढ़ने को देती । ज़्यादा समय साथ रहने के कारण गनेसिया मुझसे खूब हिल मिल गई थी।अब वह मुझसे अपने सुख-दुख बाँटने लगी थी।

एक दिन उसने मुझे अपने परिवार के बारे में बताया कि , वह विवाहित है और घर में उसके पति के अलावा एक जेठानी है। उसके सास-ससुर और जेठ की मृत्यु हो चुकी थी। गनेसिया के पति और उसकी जेठानी बीच नाजायज़ सम्बन्ध थे और गनेसिया घर के बाहर बनी कोठरी में अकेली रहती थी।गनेसिया का पति उसके साथ किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं रखता था।यह सब जानने के बाद मैं गनेसिया का और ज़्यादा ख़्याल रखने लगी थी और मैंने उसका कक्षा आठ की परीक्षा का प्राइवेट फ़ॉर्म भरवा दिया था।अब मैं भी उसके साथ जी तोड़ मेहनत कर रही थी ताकि वह अच्छे नम्बरों से पास हो जाये।और फिर हमारी मेहनत रंग लाई। गनेसिया ने आठवीं की परीक्षा अच्छे नम्बरों से पास कर ली थी।

ऐसे ही दिन बीत रहे थे कि एक दिन गनेसिया आई और मुझसे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगी। मैंने उससे घबरा कर पूछा “ क्या हुआ ? कुछ बता तो सही “ फिर गनेसिया ने जो कुछ बताया , उससे मेरा मन ग़ुस्से और क्षोभ से भर उठा।गनेसिया के तथाकथित पति ने अपने कुछ दोस्तों के साथ उसके स्त्रीत्व को बुरी तरह से रौंदा था। मैं ग़ुस्से में भर कर बोली “ चल , पुलिस स्टेशन में जाकर रिपोर्ट लिखाते हैं ,जब पुलिस का डंडा पड़ेगा तो तेरे पति और और उसके दोस्तों के होश ठिकाने आ जायेंगे...दोषियों को उनके गुनाहों की सज़ा मिलनी ही चाहिये “ “नहीं दीदी , रहने दीजिये , मेरे साथ जो होना था हो गया.....पुलिस के चक्कर में सब जगह बात फैल जायेगी और फिर बस्ती वाले मुझे बस्ती में रहने नहीं देंगे “ मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की पर वह नहीं मानी।

इस दुर्घटना के कुछ दिनों बाद ही मेरे पति का स्थानान्तरण दिल्ली हो गया और मैं भोपाल से दिल्ली आ गई।बीच के लगभग चौबीस वर्षों में मेरा गनेसिया से कोई सम्पर्क नहीं रहा । आज अचानक इतने वर्षों बाद वही गनेसिया.....” अरे दीदी... कहाँ खो गईं ? गनेसिया की खिलखिलाहट से मेरी तन्द्रा टूटी। “ कैसी हो ? कहाँ हो ? क्या करती हो ?” मैंने अपनी उत्सुकता में कई सवाल एक साथ पूछ डाले।” बहुत अच्छी हूँ दीदी....यहीं दिल्ली में हूँ....यह मेरा बेटा राजू है....यह यहीं दिल्ली में सरकारी अफ़सर है और मैं इसी के साथ रहती हूँ “ फिर गनेसिया ने गहरी साँस लेकर अपनी बात जारी रखी “ दीदी , आपके जाने के बाद मुझे पता चला कि राजू मेरी कोख में है....यह जान कर तो पूरी बस्ती में हंगामा हो गया....बस्ती वालों ने ज़बरदस्ती मुझे बस्ती से निकाल दिया......फिर मैं किसी तरह जबलपुर पहुँची....भगवान की दया से मुझे एक स्कूल में आया की नौकरी मिल गई....इसी बीच राजू का जन्म हुआ....फिर मैंने आगे प्राइवेट पढ़ाई ज़ारी रखी और किसी तरह अपना पेट काट कर राजू को पढ़ाया लिखाया.....दो साल पहले राजू ने आइ. ए. एस. की परीक्षा पास की और यहीं दिल्ली में सरकारी अफ़सर लग गया “ गनेसिया बोलती रही “ दीदी , अगर आपने मुझे पढ़ाया न होता , मुझे आठवीं की परीक्षा न दिलवायी होती तो मुझे आया की नौकरी कैसे मिलती ? आपने ही मुझमें पढ़ने की ललक जगाई...आपने ही मुझे ग़लत बातों के लड़ने का पाठ पढ़ाया....आपने ही मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया....आपके ही कारण मैं अपने पाँव में जकड़ी बेड़ियाँ तोड़ पाई....अगर आप न होतीं तो....”

“ अरे....रे...बस भी करो गनेसिया....अब तो किसी दिन तुम्हारे घर आना पड़ेगा “ कह कर मैं भी हँस पड़ी । सच , आज मुझे जिस आंतरिक ख़ुशी और आत्मसंतोष की अनुभूति हुई वह आज से पहले कभी नहीं हुई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama