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Ajay Singla

Inspirational

5.0  

Ajay Singla

Inspirational

ईमानदारी का फल

ईमानदारी का फल

2 mins
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बात कुछ दो तीन साल पुरानी है। रविवार छुट्टी के कारण बच्चे फ्री थे और मैने भी क्लिनिक ऑफ कर रखा था। बड़ा बेटा जो उस वक्त १६ साल का था और जो कुछ शांत स्वभाव का है, उसका मन मूवी देखने का था। छोटा बेटा जो थोड़ा चंचल प्रवृति का है और अपनी बात मनवाने में माहिर है बाहर खाना खाने जाना चाहता था, सो हम एक रेस्तराँ में पहुँच गये।

थोड़ी भीड़ होने के कारण हमें कुछ आधा घंटा इंतज़ार करना पड़ा। खाने के मेनू को लेकर दोनो बेटों में थोड़ी तकरार हुई पर आख़िरकार खाना आ गया। मैं और मेरी पत्नी उनके पसंद का खाने में ही खुश थे। भरपेट खाने के बाद हमने वेटर को बिल लाने के लिए कहा। वेटर जब बिल ले के आया, हमने देखा कि उसमे तीन चार चीज़ें कम लगी हुई थी।

एक बार तो मन में आया की चलो बिल पे करके चलते हैं पर तभी मेरे छोटे बेटे ने कहा, पापा नहीं ये बात हमे रेस्टोरेंट के मलिक को बतानी चाहिए। मैं जब बिल लेकर मॅनेजर के पास गया तो उसके मुख पर थोड़े चिंता के भाव थे पर जब मैंने सारी बात बताई तो उसके भावों को मैंने बदलते हुए देखा।

मैनेजर किचन के अंदर गया और कुछ देर बाद जब बिल लेकर वापस आया तो उसने वो सारी चीज़ें बिल में डाल रखी थीं, पर पूरे बिल में से 10% लेस कर दिया था। जाते वक़्त उसने हमें 400 रुपये का डिसकाउंट वाउचर भी दिया जो की हम अगले बिल में से कम करवा सकते थे। वाउचर देते हुए जो रेस्पेक्ट मैंनें उसकी आँखों में अपने लिए देखी वो मुझे आज तक याद है। जो पैसे कम हुए उसकी इतनी एहमियत नहीं थी जितनी कि उस खुशी की थी जो हम सब ने अपने अंदर महसूस की थी। हम सब के होठों पे एक अजीब सी मुस्कान थी और मन में शांति।

मैं ये सोच रहा था कि एक छोटी सी घटना ने हम सब को ये अच्छी तरह समझा दिया है की ईमानदारी एक सर्वोत्तम नीति है। शायद मैं यह बात किसी और तरह इतनी अच्छी तरह नहीं समझा पाता। गाड़ी में घर जाते वक़्त मैंने बच्चों को लकड़हारे की कहानी भी सुनाई कि कैसे उसे ईमानदारी के कारण सोने की कुल्हाड़ी मिलती है।

 ये घटना मेरी उन यादों में से एक याद है जो जब भी कभी याद आती है तो चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान बिखेर जाती है।


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