पहला प्यार।
पहला प्यार।
मैंने कभी नहीं सोचा था की मुझे भी प्यार हो जायेगा। क्योंकि मुझे इन बातों में विश्वास ही नहीं था। और मैं प्यार के चक्कर में पड़ना भी नहीं चाहता था। क्योंकि मैंने कई बार लोगों से सुना था और लोगों को देखा भी था, की जो प्यार करता है, वो बाद में बहुत रोता और पछताता है। यही डर मेरे अन्दर बैठ गया। इसीलिए मैंने सोचा न प्यार करना है, और न लोगों जैसी अपनी हालत बनानी है। इसी डर के कारण मैं किसी लड़की से न तो मिलता था और न बात करता था । लड़कियों से दूर भागने की कहानी चलती रही। जब भी कोई लड़की मेरे से बात करने का प्रयास करती मैं, उसे डाट देता और वहाँ से चला जाता। लेकिन एक दिन मैं अपने घर के सामने बैठा रहता हूँ। और सोचता रहता हूँ की लोग प्यार क्यों करते है, और उन्हें प्यार कैसे हो जाता है। और प्यार करते हैं तो बाद में रोते क्यों हैं। उनको कौन सी समस्या आ जाती है। जो लड़का लड़की के लिए और लड़की लड़का के लिए जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। आखिर इस प्यार से होता क्या है।....चलो जो भी होता हो मेरे से क्या मतलब। जो प्यार करे वो जाने उसका काम जानें।
ऐसे ही एक दिन मैं अपना गांव घूमने निकलता हूँ । घूमता रहता हूँ कि रास्ते में एक लड़की की साइकिल की चेन उतर जाती है, और वो काफी समय परेशान होने के बाद भी चेन नहीं चढ़ा पाती। उसको परेशान देख मैं सोचता हूँ कि उसकी मदद कर दूं मैं उसके पास जाता हूँ और साइकिल लेकर चेन चढ़ाने लगता हूँ। साइकिल की चेन टाइट थी चढ़े ही न मैं भी परेशान होने लगा अब सोचता हूँ कि अगर चेन न चढ़ी तो मेरी बेइज्जती होगी ऊपर से वो लड़की मुझे देख देख कर मुस्कुराए जाये ऐसा सीन देख कर तो मेरे पसीने छूटने लगे। वैसे बड़ी मेहनत करके किसी तरह मैंने साइकिल का चेन चढ़ा दिया लड़की को साइकिल पकड़ा दिया लड़की ने साइकिल लिया और मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराती हुई चली गई। मैं भी अपने घर चला आया। एक दिन फिर मैं अपने घर के सामने बैठा रहता हूँ कि वही लड़की उधर से गुजरती है। मेरी तरफ देखती और मुस्कुराती हुए चली जाती है। एक दिन फिर गांव घूमता रहता हूँ कि अचानक से सामने से निकलती है जैसी ही इत्तफाक से मेरी और उसकी नजरें आमने सामने पड़ जाती हैं। उसकी नजरें देखने से तो मेरी दिल की धड़कने तेज हो जाती पता नहीं मुझे क्या हो जाता है, मैं सब कुछ भूल जाता हूँ। मैं सीधा अपने घर चला आता हूँ। और चादर ओढ़ कर लेट जाता हूँ। अब मैं जैसे ही आंख बंद करता हूँ मुझे उसी का चेहरा नजर आता है। मैं परेशान हो गया समझ में ही न आये मैं क्या करूं, मुझे क्या हो गया। खाना खाने को बुलावा आया मैंने खाना खाने से मना कर दिया क्योंकि मेरी तो भूख प्यास सब मर गई थी। किसी तरह रात कटी तो पता नहीं क्यों उसे देखने का मन कर रहा था। मैं किसी तरह से बहाना बना के उसके घर गया अब उसके घर के बाहर बैठा हूँ काफी समय हो गया दिखी ही न मैंने खूब बहाना बनाया की शायद अबके आ जाये लेकिन नहीं दिखती मैं वहाँ से चला आता हूँ। अब मुझे कुछ अच्छा ही न लगे पता नहीं क्यों। शाम तक फिर देखने गया फिर भी न मिली अब मेरा सर दर्द करने लगा। रात हुई फिर सुबह हुई फिर देखने गया जैसे ही उसको देखा ऐसा लगा मुझे सब कुछ मिल गया हो। मन बड़ा प्रसन्न हुए। देख कर चला आया। धीरे धीरे रोज देखने जाने लगा। अब तो उससे बातें भी करने लगा। अब तो ऐसा लगे की सारी जिन्दगी उसी के साथ रहूं। अब सारा दिन वहीं बीते। अब तो जब तक उसको देख न लूं तब तक कुछ अच्छा ही न लगे। वो भी मेरे साथ खूब बातें करें मेरे साथ सारा दिन बिता दे। अब जाके समझ आया कि लोग प्यार क क्यों करते है। प्यार क्या है। लोग प्यार में जान क्यों देते है। मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा एक दिन तो मैंने सोचा मैं उसको बता दूं कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं यही बात पूरी रात सोचता रहा सुबह हुई नहा धोकर बढ़िया से कपड़े पहन कर प्रोपोज करने चल पड़ा जाके उसके पास पहुंचा मुझे सज धज देख मेरे सुंदरता की खूब तारीफ करने लगी। मैंने उसको अपने साथ बैठाया और मैंने अपने प्यार कि पूरी कहानी उसे बताई कि मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा हूं मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। लेकिन मेरे तो होश उड़ गए, दुनिया उजड़ गई ये सुनकर की वह मेरे सें नहीं किसी और से प्यार करती है।