हजार का नोट भाग 8
हजार का नोट भाग 8
हजार का नोट
भाग 8
शामराव अपनी जेब में छाई पंद्रह हजार की हरियाली से ख़ासा खुश लोकल ट्रेन में सवार था। उसका हाथ बार बार जेब पर चला जाता। एक शक्ल से संभ्रान्त लगने वाला आदमी ब्रीफकेस लेकर आया और उसने बड़ी अक्खड़ता से शामराव को उठने को कहा। यह रहमान की गैंग का एक पिट्ठू था जो अपने संभ्रान्त चेहरे के दम पर अपराध करता था। शामराव ने कोई ध्यान नहीं दिया। लोकल ट्रेन में कुछ डेली पैसेंजर कुछ ख़ास सीटों को चिन्हित कर रखते हैं और उसपर बैठे लोगों को डरा धमकाकर खुद बैठ जाते हैं। शामराव की अवज्ञा से नाराज होकर उसने शामराव का कॉलर पकड़ लिया। शामराव आसानी से उसे संभाल सकता था वह भी जूझ गया पर उसके आवाज लगाते ही चार मुस्टंडे न जाने कहाँ से हाजिर हो गए और उन्होंने बड़ी मुस्तैदी से शामराव को कूटना शुरू कर दिया। लगभग पांच मिनट बाद शामराव अपने दो टूटे दांतों और फटे कपड़ों समेत अँधेरी स्टेशन पर उतरा तो रहमान अंसारी द्वारा दिए गए पंद्रह हजार समेत उसके पास मौजूद हजार रूपये भी गायब थे। उसे स्वप्न में भी आभास नहीं हुआ कि इस वारदात के पीछे रहमान अंसारी का हाथ हो सकता है।
मालवणी में पता चला कि गैब्रियल अभी भी वहीँ रहता है पर दो दिन से उसका कोई अता पता नहीं है। वह तो उस समय उस्मान कानिया के दहिसर स्थित अड्डे पर बैठा वो नोट दिखा रहा था जो उसने मोहन और पूनम का कत्ल करके झटके थे। उस्मान कानिया इस धंधे का पुराना खिलाड़ी था। गैब्रियल द्वारा नोट की सूचना मिलते ही वह समझ गया कि 23 तारीख को मड आइलैंड पर रात तीन बजे माल उतरेगा जो नोट दिखाने से मिल जायेगा। उसने किसी भी कीमत पर वह नोट लाने का आदेश देकर गैब्रियल के साथ अपने चार छोकरों को बेहरामबाग भेज दिया था। मोहन और पूनम जब आसानी से वह नोट देने को तैयार नहीं हुए तो कानिया के एक प्यादे ने दोनों का खून कर दिया। गैब्रियल की दोस्ती किसी काम नहीं आई। पैसे के आगे दोस्ती का मूल्य शून्य हो गया था। फिर नोट लेकर वे पाँचों जैसे ही भागे तब रहमान अंसारी के गुर्गे बेहरामबाग पहुंचे थे पर वे नहीं जानते थे कि गैब्रियल पहले ही अपना काम करके निकल चुका है। गैब्रियल के गायब होने से रहमान अंसारी समझ गया कि नोट उसके ही पास है और उसके उस्मान कानिया का आदमी होने की पुख्ता खबर मिलने पर वो समझ गया कि अब इस घटनाक्रम का अंत कल रात मड आइलैंड के तट पर ही होगा। आखिरकार नोट किसी के भी पास हो अंततः तो उसे कल रात मड आइलैंड पर आना ही होगा। मौत की तलवार रहमान के सिर पर लटक रही थी और आज की रात उसे नींद आने की कोई संभावना नहीं थी।
कहानी अभी जारी है ......
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