मेरा अस्तित्व
मेरा अस्तित्व
ख्यालों मे इतने उफान आ रहे हैं
पर लगता है शब्दों का समुद्र
सूख गया है
बस चारो और धुंध ही धुंध है
कुछ साफ नहीं दिख रहा
ज़िन्दगी मे आये इस पड़ाव
को पार करना बहुत मुश्किल
हो रहा है
लोग तो रूठ कर चले गए
पर अब मेरी कविता
भी मुझसे रूठी बैठी है
उसे कैसे बताऊं कि
उसके बिना मेरा अस्तित्व
दाँव पर लगा है