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KHUSHNUMA BI

Abstract

4  

KHUSHNUMA BI

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अफसोस की राहें

अफसोस की राहें

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 सफलता तो हम ढूंढ रहे थे

पर कठिनाइयों से मुख्य मोड़ रहे थे 

अनजान बनकर आलस से नाता जोड़ रहे थे

हवाओं में सपनों के महल सजा रहे थे

. ख्वाइशें थी मुकद्दर को बदलने की

वक्त ने ऐसा बदला की

खुद को ही ना संभाल पाए


हमें ना था मालूम कि हमारी किस्मत इतनी मासूम

निकल पड़े थे मंजिलों को ढूंढने

और चल पड़ी थी मंजिल हमारे पीछे पीछे

किस्मत को किस्मत को लेंगे

एक दिन जीत यह हमने भी सोच रखा था


हम ना जानते थे कि हमारा आलस बेवफा था

वक्त भी मेरे लिए एक दिन रुका था

पर हमने तो तकदीरों से नाता जोड़ रखा था

वक्त चल पड़ा था तब मैं भी जगा था

पर हमने तो वक्त को एक बार फिर रुकने को कहा था


कि मैं किसको दूँ दोस्तों मैंने अपने अंदर जगा रखा था

मेहनत को किस दरवाजे में छुपा रखा था

यह तो बस मेरे आलस को पता था

कि हम नहीं जाना चाहते थे सच्चाई

क्योंकि मैंने तो सच्चाई का नहीं बुराई से नाता जोड़ रखा था।


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