बसन्त बसन्त
बसन्त बसन्त
वीणा वादिनी पुस्तक धारिणी, रंग स्वर्णिम लाई है,
विद्या का वरदान दीजिये माँ, ऋतु बसंत आई है।
ख्वाहिश है मेरी छोटी सी माँ, करती तुझसे मै अरदास,
विद्या की कर दो तुम बरसात, मेरी छोटी सी है आस।
ज्ञानदायिनी माँ तेरे चरणों में, अपना शीश झुकाती हूँ,
ज्ञान का भंडार भर दो माँ , नित प्रार्थना मैं करती हूँ ।
ऋतु बसंत सुहानी आई है , माँ धरती पर चली पुरवाई हैं,
फसलें ले रही है अंगडाई देखो, आम्र मंजरियो बौराई है।
माँ शारदे हम सभी पर तुम, करना सदा तुम उपकार,
ज्ञान चक्षु माँ खोलकर हमारे माँ, जीवन करना पार।
सरस्वती विद्या दायिनी हंसिनी माँ, मांगती तुमसे ये वरदान,
मर्म समझू शिक्षा विद्या का मैं सदा, करती रहूँ तेरा ही गुणगान। ।
