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Manju Rani

Inspirational

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Manju Rani

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बसंत के सुमन

बसंत के सुमन

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आओ, हम बसंत के सुमन से खिलें,

ऋतुराज का हृदय से आगमन करें,

पीली ओढ़नी ओढ उन सरसों में मिलें,

पुष्पों के आँगन में पुष्प से महकें ।

आज उस सृष्टिकर्ता को याद करें

जिसने रचना की थी सर्वश्रेष्ट सृष्टी की

पुष्कर में उन ब्रह्मा को पुष्प अर्पित करें ।


पुष्पों पर भौंरों की नुपुर गूँजन सुनें

आमों पर महकती बौर देख मचलें,

सरसों के पीले फूल

अलसी के नीले फूल से खिलें,

मुग्ध ऋतु के इस मधुर दृश्य में

सरस्वती को पुष्प समर्पित करें,

उनकी वीणा सुन वंदना करें ।


कृषक देख पीत रंग खलिहानों में

भूल गया पौष की रात का पाला

जब रात भर देता था जलधारा

आज खड़ी फसलों में मदमस्त हो

समर्पित कर रहा फूलों की माला,

केसर-भात का भोग लगा रहा लल्ला ।


पीत रंग पहन प्रीत बढ़ा रहा नंद लाला,

आज कण-कण में स्फूर्ति जगा रहा लल्ला,

अभी पंचमी है तो यह छवि दिखा रहा लल्ला,

आगे प्रीत-ही-प्रीत बिखेर रहा मनमोहन लल्ला,

सारे माह सुरभि-ही-सुरभि हर मन गा रहा

"रंग दे बसंती चोला ,माही रंग दे बसंती चोला"


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