माँ का गर्व
माँ का गर्व
प्रेम में लीन, शब्द विहीन
किया आलिंगन कसकर
मानो कह रही हो ,
अब जाने नहीं दूंगी तुझे सरहद परI
शब्दों ने मन की आशंका को पोंछ दिया
आलिंगन छूटते ही कह दिया ।
मुझे गर्व है ऐसा पुत्र पाने पर ।
होती गर एक पुत्री भी ,
हो जाती पूरी मेरी तपस्या भी।
फक्र है मुझे, इसे देश का लाल बनाने पर।
इस मिट्टी का कर्ज चुकाने पर।।