राम को ढूंढें कैसे
राम को ढूंढें कैसे
एक ही रावण था, श्री राम चंद्र के सामने किन्तु
यहाँ हर गली में फैला हुआ, रावणों का डेरा है,
राम को ढूंढें कैसे बढ़ रही, रावणों की तादाद यहाँ ,
रोकें तो रोकें कैसे, बढ़ता जा रहा है जो पाप यहाँ,
रावण को जलाना भी, अब एक खेल बन गया,
बुराई को मिटाने का सबक, जाने कहां खो गया,
हज़ारों रावण को जलाने पर भी, पाप कहां जलता है,
रावण को जला पाप ख़त्म करना, ढकोसला ही लगता है,
हर वर्ष बुराई वाले, दस शीशों को हम जलाते हैं,
किन्तु जुर्म से भरे शीश, यहाँ हर रोज़ सर उठाते हैं,
बिन छुए ही सीता को, रावण का यह हश्र हुआ,
किन्तु धरा के रावणों का, बाल तक बांका ना हुआ,
यहाँ तो बुराई को मिटाने की कोशिश जो करता है,
ना जाने कितने ही दुश्मनों को आमंत्रित वह करता है,
समझ नहीं आता बुराई पर, अच्छाई की जीत हो रही है,
या अच्छाई बुराई के हाथों, हर रोज़ निलाम हो रही है,
रावण को जला, बुराई पर अच्छाई की जीत हम दिखाते हैं,
किन्तु बुराई रूपी रावण, अच्छाई को हर रोज़ ही जलाते हैं।