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Haseeb Anwer

Abstract

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Haseeb Anwer

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गुजरें पल

गुजरें पल

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याद करने के बहाने याद आते हैं

तुझसे बिछड़ के अफ़साने याद आते हैं

था वो दिन मेरा खुशियों से भरा

अब ये सोच कर पुराने दिन याद आते हैं।


हर तरफ़ मेरे चर्चे सरेआम हो रहे हैं

सारे शहर में अब हम बदनाम हो रहे हैं

मेरी कामयाबी से भला इतनी नफ़रत क्यों है

मेरे ही नाम से तो सारे तेरे काम हो रहे हैं।


बिछड़ कर तुझसे मुझें सब कुछ मिला

तुझे ग़म के सिवा और कुछ ना मिला

बिछड़ना इक हद तक जरूरी भी था

मुझें ये शहर तो मिला मगर तू ना मिला।


अब के मिले तो तुम मोहब्बत ना करना

झूठे वादों की बिल्कुल ज़ुर्रत ना करना

नाक़ाब लगाए फिरते हैं सारे इस शहर में

ऐसे लोगों की तुम कभी इज्ज़त ना करना।


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