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Haseeb Anwer

Romance

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Haseeb Anwer

Romance

मैं मुस्लिम वो हिन्दू

मैं मुस्लिम वो हिन्दू

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मैं मुस्लिम वो हिन्दू है

तो भला क्या बात है

इन सब के बीच मे आख़िर

आता क्यों जात-पात है

वो मुझमें मैं उसमें हूँ

इक दूसरे के ख्यालों में

हर जगह तुम्हें ही ढूंढू

मेरे सारे सवालों में ।

मेरी वो मैं उसका हूँ

कई दिनों की बात है

दिन तो अब ढ़लता नही

होती भी नहीं अब रात है ।

मैं मिलु उसे वो मिले मुझे

ये इक हमारी चाहत है

तुमसे मिलना मानों जैसे

सदियों कि राहत है ।



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