क्षितिज
क्षितिज
कोई उपयुक्त उपमा
या कोई अलंकार...
देने के उपलक्ष्य में
बहुत सोचा है मैंने
अपने प्यार की बाबत !
और आज मैं निर्विरोध
कह सकता हूँ -
कि हमारा प्यार,
पवित्र, असीम प्यार,
क्षितिज की तरह है;
जहाँ गगन और धरा
प्रेमावश आलिंगनबद्ध हैं !
कोई उपयुक्त उपमा
या कोई अलंकार...
देने के उपलक्ष्य में
बहुत सोचा है मैंने
अपने प्यार की बाबत !
और आज मैं निर्विरोध
कह सकता हूँ -
कि हमारा प्यार,
पवित्र, असीम प्यार,
क्षितिज की तरह है;
जहाँ गगन और धरा
प्रेमावश आलिंगनबद्ध हैं !