जीवन की मांग
जीवन की मांग
मुझे आने से पहले
क्यों मार रही हो
माँ
मुझे हँसाने से पहले
क्यों रुला रही हो
माँ
क्यों हत्यारों के
किरदार में तुम
दिखाई दे रही हो !
माँ
क्या मेरी पीड़ा से
अवगत नही
हो आप
क्या मासूमियत देख
मेरी लज्जित नहीं हो
माँ
क्यों ममत्व का गला
इस कदर घोट रही हो
आप
क्यों हैवानियत का
परचम अब लहरा
रही हो आप,
मुझे भी आने दो
इस सुंदर जग में
क्यों पेट को
निर्दयता से
ठोकर लगा
रही हो आप
मैं भी बनूँगी
कल्पना,
हां मैं बनूंगी
मदरटेरेसा
मैं बनूँगी वैज्ञानिक
या बनूँगी दूरदर्शना
हाथ आपका थाम
मैं सहारा बनूंगी
बुढ़ापे का
जब सिर दर्द होगा
आपका तब
मैं हाथों से दबाऊँगी
बाल भी होंगे उलझे
तो फिर मैं सुलझा दूंगी
पापा को भी चाय बनाकर
मैं अखबार दे जाऊंगी
तनिक भी गुस्सा हुए
अगर तो गाना गा कर
मनाऊंगी
भाई को भी पढ़ा
लिखा कर
काबिल में बनाउंगी
घर का काम भी
झट से करके
मैं ड्यूटी चल
जाऊंगी।
इतनी सी है
तमन्ना मेरी
माँ अर्जी में
लगा रही
कर दो न साकार
इरादे मेरे
मैं दिल से
साथ निभाऊंगी।