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मनवा

मनवा

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हर रात के बाद में सवेरा ही तो है

मनवा क्या खोजे रे तू सब कुछ तेरा ही तो है


नहीं हैं रे यहाँ पर तेरा अपना कोई

सबका पालन हारा है केवल वो साईं।

उस साईं के दर्शन से मिट जाएंगे सारे कष्ट

सारा अमंगल, सारी विपदा हो जाएंगे नष्ट।

जब तक ना हो सूर्य उदय अँधेरा ही तो है

मनवा क्या खोजे रे तू....


गलत राह पर तू भटकता रहता है

मोह माया के बंधन में अटकता रहता है।

अखिल सृष्टि का रहस्य तुझ में ही है समाया

खोज तू अपनी शक्ति को,

छोड़ जगत की माया

जीवन तेरा जनम-मरण का फेरा ही तो है

मनवा क्या खोजे रे तू...


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