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Archie Saxena

Romance

4.9  

Archie Saxena

Romance

फिर भी हैं

फिर भी हैं

2 mins
749


तुम साथ नहीं तो क्या

दिल धड़कता तो अब भी है,

रिश्ता कुछ महीनों का ही सही

साथ तो वो फिर भी है।


हुआ सवेरा जो

आँखों में नींद अब भी है,

सपने तो मेरे थे

अंश तुम्हारे फिर भी है।


बातें तुम्हारी नहीं

नाम तो तुम्हारा ही होठों पर अब भी है,

छोड़ कर चले गये यूँ ही किसी मोड़ पर

तुम्हारे आने की उम्मीद फिर भी है।


खुशनुमा जिंदगी अब भी है

हासिल है कुछ मंजिलें

कुछ तक पहुँचना बाकी है,

पर इक तुम्हें पाने की चाहत फिर भी है।


चल तो दिये हैं अब अकेले राह पर

जुनून मंजिलों को पाने का अब भी है,

पर तुम्हारे आ कर हाथ पकड़ने की

अरदास फिर भी है।


हवा जो छू कर गुजरी है

बारिश जो भिगा कर गई

उनके छूने का एहसास अनमोल अब भी है,

पर तुम्हारे साथ वाला एहसास प्रिय फिर भी है।


मिल के भी न हो सके तुम्हारे तो क्या

तुम्हें खोने का डर अब भी है,

बन गये कितने अफसाने राह में अजनबियों के साथ

पर तुम्हारी यादों के अफसाने हसीन फिर भी है।


देख लिये कितने खूबसूरत नजारे

देखे कई हसीन शहर और किनारे

पर आँखों को तुम्हें देखने की

ख्वाहिश फिर भी है।


बोलने के लिए बातें बहुत अब भी है

पर बोले बिना तुम समझ जाओ

दुआ ये फिर भी है।


तेरी जुदाई का गम तो अब भी है

न बह सका आँखों से ये गम तो क्या

दर्द तो वो फिर भी है।


थक गया मन जो मेरा

बैठ गया है ये हार कर

पर दिल को तुम्हें पाने की

जिद अब भी है।


फिर किसी मोड़ पर

मिलने की आस लगाए बैठा है

क्योंकि दिल तो बच्चा फिर भी है।।


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