वसंत सीमा प्रहरी पत्नियों का
वसंत सीमा प्रहरी पत्नियों का
प्रिय आ जाओ, प्रिय आ जाओ
अब यादों से हैं नयन सजल
यहाँ सरिताओं में आया है
तेरी कर्म भूमि से हिम पिघल
तुम रहो हिमालय के आँगन
जान हथेली पर रखकर
मेरे आंगन केवल यादों के
मरुथल, मरुथल, मरुथल
प्रिय आ जाओ, प्रिय आ जाओ
रितु बीत गयी, बरसात गयी
गया झूलता प्रिय सावन
घर आयीं मकरन्द समीरें
लेकर यादों का सम्बल
प्रिय आ जाओ, प्रिय आ जाओ
फूलों पर यौवन तरुणाई
ले अंगड़ाई,डोले वन वन
यदि आ जाओ तो जी लूंगी
निज जीवन के, स्वर्णिम पल
प्रिय आ जाओ, प्रिय आ जाओ
पिहू -पिहू पपीहा बोले
प्रणय गीतों का कलरव
मेरे प्रिय संवेगी मन है
विरहा का बस कोलाहल
प्रिय आ जाओ, प्रिय आ जाओ
अब यादों से हैं, नयन सजल।
