सिलवटें
सिलवटें
भले ही माथे पर हो सिलवटें
लेकिन मुस्कुराना ही होगा।
माथे पर पड़ी सिलवटों को
सबको ना दिखाना होगा।
कर्मठ होकर कर्म पथ पर तुमको आगे बढ़ जाना होगा।
राह में आई मुश्किलों को
अकेले ही निपटाना होगा।
नारी तू कुसुम है, अबला है, ऐसे बहुत से मिथकों को अपने जीवन से हटाना होगा।
लेकर दुर्गा रूप तुझे स्वयं ही दानवों से टकराना होगा।
बनकर रणचंडी तुझे यूं ही अपनी अस्मिता को बचाना होगा।
तेरे माथे पर चिंता की सिलवटें क्यों है?
जगत जननी बनने की सामर्थ्य है तुझ में।
अपने बल को पहचान तू।
तुझे अपना लोहा दुनिया से बनवाना होगा।
प्रेम, माधुर्य, ममता, वात्सल्य
बड़े खूबसूरत गहने है तेरे
लेकिन अपने इन गहनों को दुष्कर्मियों को तो ना दिखाना होगा।
नारी आ गया है अब समय खुद को सिद्ध करने का
तुझे हर क्षेत्र में अब अपनी योग्यता को सिद्ध करके दिखाना होगा।
