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Shakuntla Agarwal

Inspirational

4.7  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

"तन - मन - धन सब है झूठा"

"तन - मन - धन सब है झूठा"

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तन - मन - धन सब है झूठा,

मोह, माया, जग है फंदा,

रात - दिन बस तुझे मैं ध्याता रहूँ,


मिट्टी की यह देह हमारी,

इक दिन मिट्टी में मिल जानी,

शुभ कर्म तू करले प्राणी,

दो - दिन की तेरी ज़िंदगानी,

ममता छोड़ समझ ले प्राणी,

जग चाहतों का है मेला,

तन - मन - धन सब है झूठा,

मोह, माया, जग है फंदा,

रात - दिन बस तुझे मैं ध्याता रहूँ,


पत्थर की तू नाँव बनायें,

पाप की गठरी सिर पे उठाये,

बैठ नाँव में तरना चाहें,

माया की ये रट लगाये,

राम - नाम तुझे न भाए,

समझ में तुझे ये न आए,

ये दुनिया है रैनबसेरा,

तन - मन - धन सब है झूठा,

मोह, माया, जग है फंदा,

रात - दिन बस तुझे मैं ध्याता रहूँ,


नौ माह तूने गर्भ में बिताये,

करणी याद कर - कर पछताये,

ईश्वर से फ़रियाद लगाये,

नर्क जून से छूट जाऊँ,

तोहें मैं हर - पल ध्याऊँ,

जान बची फिर लाखों पाय,

आकर दुनिया में रम जाये,

"शकुन" तेरी समझ में ये न आये,

तन - मन - धन सब है झूठा,

मोह, माया, जग है फंदा,

रात - दिन बस तुझे मैं ध्याता रहूँ ।।


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